Monday, January 12, 2009

वही युवा है...!

वही युवा है जिसके मन में
कर्म-कुशल विश्वास है
भंग हुआ उत्साह तो समझो
विकट बुढ़ापा पास है
कोई यौवन में भी यदि
हो थका हुआ तो बूढा है
गति की सन्मति नहीं रही
तो समझो जन्म अधूरा है
बूढ़ी आँखों में जिस पल
जीने की ललक झलकती है
लगता है जैसे उस पल
सज़दा करता आकाश है !
वही युवा है जिसके मन में
कर्म-कुशल विश्वास है।
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7 comments:

anuradha srivastav said...

उम्दा लेखन........ मनःशक्ति ही सबसे बडा सम्बल है।

Unknown said...

bahut accha likha hai...

Dr. Amar Jyoti said...

बहुत सटीक।'मन के हारे हार है,मन के जीते जीत'।

रंजना said...

बिल्कुल सही कहा आपने......सुंदर और उत्साहवर्द्धक रचना हेतु साधुवाद

राज भाटिय़ा said...

वही युवा है जिसके मन में
कर्म-कुशल विश्वास है
बिलकुल सही कहा आप ने.
बहुत ही सुंदर भाव, सुंदर कविता.
धन्यवाद

दिनेशराय द्विवेदी said...

आपने तो जवानी नापने का मीटर बना दिया। नापते हैं अपनी जवानी/बुढ़ापा।

"अर्श" said...

बहोत खूब और बेहतर तरीके से आपने सिधांत को सामने रखा है बहोत ही बढ़िया जैन साहब.. ढेरो बधाई कुबूल करें....

आभार
अर्श