
द्वार पर भूखा पड़ा है चुप रहो
चिढ़ गया माधो से थानेदार तो
जेल में वर्षों सड़ा है चुप रहो
भूख बेकारी से बस एक आदमी
आखिरी दम तक लड़ा है चुप रहो
क़त्ल करने वाला कोई और था
कोई फाँसी पर चढ़ा है चुप रहो
बोलता था सच सदा महफ़िल में जो
कब्र में सोया पड़ा है चुप रहो
पाँव धरती पर नहीं पड़ते हैं अब
रंग सत्ता का चढ़ा है चुप रहो
==========================