
तुमने ठीक ही कहा
कि मुझे कुछ नहीं आता
आखिर आता ही क्या है मुझे?
मैं नहीं कर सकता झूठा वादा
नहीं दे सकता किसी को धोखा
झूठ नहीं बोल सकता
जल्दी ऊंचाइयां छूने की चाह में
तिलांजलि नहीं दे सकता
अपने संस्कारों को
आगे बढ़ने की होड़ में
नहीं छोड़ सकता अपनों को
इसीलिए मुझे कुछ नहीं आता
तुमने ठीक ही कहा
सरवाइव नहीं कर सकता
इस शहर में...
=============================================
गुरू सरन लाल की रचना साभार प्रस्तुत.