Wednesday, September 11, 2013

बड़े दिल और बड़प्पन की
निशानी है क्षमा 

डॉ.चन्द्रकुमार जैन 


क्षमा करने का सीधा मतलब है जो बीत गई वो बात गई। उसे जाने दो। गलतियां हुई हों तो उनका प्रायश्चित कर लो, आने वाले समय में वैसी ही गलतियाँ दोहराने से बचो। दरअसल भूलने का ही दूसरा अर्थ है माफ़ कर देना। लेकिन, ये काम इतना आसान भी नहीं है। बैर की गाँठ अगर एक बार पड़ जाए तो बड़ी मुश्किल से खुलती है, कई बार तो खुलती ही नहीं! तब क्या किया जाये? 

विचार किया जाये कि खुद को या दूसरों को माफ़ किये बगैर मन भी तो हल्का नहीं हो सकता। खुद को भीतर से संगठित करने के लिए, अपना संतुलन बनाए रखने के लिए भी क्षमा बहुत ज़रूरी है। 

जैन परंपरा में पर्यूषण पर्व की आराधना संयम, तप और त्याग की मिसाल है, जो कहीं और देखने में नहीं आती. लेकिन, उसके बाद मनाये जाने वाले क्षमावाणी दिवस का तो कोई ज़वाब ही नही है . फिर भी हमारा मत है कि क्षमा सिर्फ एक दिन की बात नहीं है, न ही एक दिवस विशेष का कोई आयोजन मात्र है. बल्कि,यह पवित्र भाव मनुष्य के मनुष्य होने का पल-पल का प्रमाण होना चाहिए, क्योंकि सामजिक होने का भी मतलब माफ़ करने वाल होना है. यह एक शक्तिशाली गुण है , 

कार्य-व्यवसाय में भी इंसान चूक या गलती कर बैठता है .यह स्वाभाविक है, किन्तु कभी-कभी लापरवाही या बेपरवाई के कारण भी बड़ी भूल हो जाती है . लेकिन अपनी भूलों की क्षमा मांगना और दूसरों की भूलों को भुला देना सचमुच वीरों का काम है . ये काम छोटे दिल वाले कतई नहीं कर सकते . 

आम तौर पर मदर टेरेसा के कोलकाता स्थित अनाथालय की दीवार पर एक कवितानुमा सुभाषित पढ़कर आपदो पल के लिए ही सही,ठहर जायेंगे और कुछ सोचने-समझने के लिए भी विवश हो जायेंगे. \अंग्रेजी में लिखित केंट केथ की उन पंक्तियों का भावानुवाद 
यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ. अनुवाद मैंने स्वयं किया है. मुझे इसमें बड़े दिल की बड़े काम की बात नज़र आई . 

सिर्फ़ एक विनम्र प्रयास, जरा पढ़िए तो सही - 

लोग आपके प्रति 

अक्सर अवास्तविक,

अतार्किक और आत्मकेंद्रित हो सकते हैं. 

फिर भी आप उन्हें माफ़ कर दें.
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हो सकता है आप दयालु हों 

लेकिन लोग आपको स्वार्थी

और छुपी हुई मंशा का व्यक्ति मान सकते हैं

फिर भी 

आप उनके प्रति दयालु बने रहें.
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आप अगर सफल होते हैं तो

आपके हिस्से आयेंगे 

कुछ गलत मित्र और कुछ सही दुश्मन !

फिर भी 

आप आगे बढ़ते रहें.
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अगर आप ईमानदार और दो टूक हैं 

लोग आपको धोखा दे सकते हैं

फिर भी 

ईमानदारी और बेबाकी मत छोड़ें.
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आपने वर्षों मेहनत करके 

जो निर्माण किया है

लोग उसे रातों रात नष्ट कर सकते हैं

फिर भी आप सृजन जारी रखें.
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अगर आप सुखी और शांत हैं

लोग आपसे ईर्ष्या कर सकते हैं

फिर भी आप खुशमिजाजी बनाए रखें.
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आप अगर आज कोई भलाई करते हैं 

लोग उसे कल भुला सकते हैं 

फिर भी 

भलाई की राह न छोड़ें. 
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अगर आपने दुनिया को 

अपना सर्वश्रेष्ठ भी दे दिया हो 

और वह भी कम पड़े 

फिर भी बेहतर देने का ज़ज्बा न छोड़ें.
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आप अंततः देखेंगे कि ज़िन्दगी में 

सब कुछ 

आपके और ईश्वर के बीच ही घटित होता है

किसी भी तरह से

आपके और लोगों के बीच नहीं !
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याद रखें, 

हम कोई बड़ा काम भले ही न कर सकते हों  

लेकिन छोटे-छोटे काम 

बड़े दिल से जरूर कर सकते हैं !

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Monday, September 2, 2013

हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आये हैं,
तुझसे गले लगना तो महज़ बहाना था।

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डॉ .चन्द्रकुमार जैन 


महेश भट्ट साहब के चुनिन्दा ट्वीट आज पढ़कर वीएनएस के अपने सुधी पाठकों से भी साझा करने का मन हुआ। कभी राजधानी रायपुर में मीडिया से जुड़े एक आयोजन में मंच पर उद्घोषणा का दायित्व निर्वहन करते हुए मेरी उनसे आत्मीय मुलाक़ात भी हुई थी। तब दूरदर्शन के स्टूडियो में ही मुझे शाबासी देते हुए उन्होंने मौके पर ही एक कागज़ के टुकड़े पर मुझे जो सन्देश लिखकर दिया था, वह आज भी मेरे पास एक यादगार तस्वीर सहित सुरक्षित है। श्री भट्ट ने लिखा है - प्रोफ़ेसर जैन, कीप योर सिन्सियारटी इनटैक्ट। और फिर क्या मेरे लिए उनका सुझाव एक धरोहर से भी अधिक ज़िन्दगी की ज़रुरत में तब्दील हो गया। आज भी उनसे  हुई मुलाक़ात की यादें ताज़ा हैं। 

बहरहाल भट्ट साहब के चुनिन्दा ख्यालों पर गौर फरमाइए और हो सके तो उनका लुत्फ़ भी उठाइये  - 

आपका काम अपने काम को पहचानना है और इसके बाद पूरे दिल से उसको खत्म करने में लग जाना है।
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चीजें हमें खुशी नहीं देतीं। हमारी खुशी इस बात पर डिपेंड करती है कि हम खुद क्या सोचते हैं, क्या महसूस करते हैं। जिंदगी से आपको क्या मिलेगा यह आपका एटिट्यूड तय करता है।
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प्रेस की स्वतंत्रता के विचार के साथ दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि यह जरूरी नहीं है कि प्रेस कई मौकों पर फेयर ही हो। ऐसी ही जिंदगी भी है।
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'खंजर चले किसी पर, तड़पते हैं हम 'अमीर'-- सारे जहां का दर्द हमारे जिगर में है' 22 मई 2013
एक अजीब शोर बरपा है कहीं, कोई खामोश हो गया है कहीं, तू मुझे ढूंढ़ मैं तुझे ढूढ़ूं, कोई हममें से खो गया है कहीं।
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लोग मस्जिदों में जन्नत तलाशा करते हैं, फुर्सत इतनी नहीं होती कदम मां के चूम लें।
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लोगों को फ्रीडम ऑफ स्पीच(बोलने की आजादी), तब दी गई जब पूंजीवादियों ने मास मीडिया पर पूरा कंट्रोल कर लिया।
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कॉस्मेटिक सर्जरीः लाखों महिलाएं हर साल अपने शरीर को बिगाड़ती हैं ताकि मीडिया द्वारा गढ़ी गई परफेक्ट इमेज हासिल कर सकें।
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राजेश खन्ना अपनी तस्वीरों, डायलॉग्स और गानों से हमारी जिंदगी की कहानियों का हिस्सा हैं।
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खुद को उस तरह देखना जैसे दूसरे लोग देखते हैं, लाइफ के सबसे मुश्किल कामों में से एक है।
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तूफान के बीतने का इंतजार करना जिंदगी नहीं है,बारिश में डांस सीखना ही असली जिंदगी है।
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सब कुछ समझने के लिए सबको माफ करना पड़ता है- बुद्ध
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सुनाः युद्ध की ट्रैजिडी यह है कि इसमें एक शख्स दूसरे शख्स को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए अपना बेस्ट करता है।
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पढ़ा: किसी पूर्वाग्रह को तोड़ना ऐटम तोड़ने से ज्यादा मुश्किल काम है।
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जिंदा रहना यानी हम क्या करने वाले हैं इसका फैसला करने की लगातार चलने वाली प्रक्रिया।
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गए दिनों की खुशबू पाकर...मैं दोबारा जी उठा था- नसीर काजमी
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ह्यूमन लैंग्वेज से 'बेटर' शब्द को हटा देना चाहिए। जो लोग समझते हैं कि वे बेटर हैं, खुद को दूसरों से सुपीरियर समझते हैं और ग्रेट फील करते हैं।
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जिंदगी में सुरक्षित रहने की कोशिश में हम ज्यादा से ज्यादा सतर्क होते जाते हैं और आखिरकार हमारी कोई जिंदगी ही नहीं रह जाती। सतर्क न रहें, आप अपने आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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जिस सच में आप विश्वास करते हैं और जिसके साथ आप चिपके हुए होते हैं, वह आपको नई चीजों को सुनने से रोकता है।
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जब्त लाजिम है मगर दुख है कयामत का फराज, जालिम अबके भी न रोएगा तो मर जाएगा।
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क्या है जो बदल गई है दुनिया... मैं भी तो बहुत बदल गया हूं- जॉन इलिया
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'प्रकृति में जितनी गहराई से पैठोगे, आप हर चीज को उतने ही बेहतर तरीके से समझ सकोगे'- अल्बर्ट आइंस्टाइन

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खुद से यह सवाल पूछिए, 'खुशियां पाने के लिए क्या मुझे सबका इस्तेमाल करना चाहिए? या दूसरों को खुशियां मिले, इसके लिए मुझे उनकी मदद करनी चाहिए?'- दलाई लामा
...लेकिन, दूसरों को खुशियां पाने में उनकी मदद नहीं करना ठीक वैसा ही है, जैसा अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए किसी का इस्तेमाल करना।
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दिमाग और समुद्र में एक बात समान है- दोनों निरंतर व्याकुल रहते हैं। 
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अंधेरे में कदम आगे बढ़ाने के लिए तैयार रहें। जवाबों और क्लियर रास्ता मिलने का इंतजार न करें। छलांग लगाएं और अपनी इंस्टिंक्ट पर भरोसा करें। 
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ज्ञान ही ताकत है - कल भी था, आज भी है और कल भी रहेगा। 
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आदमी अपना दुख किसी तरह बर्दाश्त कर लेता है , लेकिन उससे दूसरे का सुख बर्दाश्त नहीं होता। 
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हम लगातार अपनी पसंद-नापसंद दूसरों पर थोप रहे हैं। थोपने का यह काम एक तरह से गन पाइंट पर हो रहा है। 
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हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए हैं 
तुझसे गले लगना तो महज बहाना था। 
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अपनी पहचान बनाने के लिए ' दूसरों ' से नफरत करना, डरना और उन पर अविश्वास करना आज भी फासिस्ट ग्रुपों का तरीका बना हुआ है। 
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सुना हैः स्वर्ग की सारी बातें तभी शुरू होती हैं जब हम कुछ खो चुके होते हैं। 
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