Thursday, November 4, 2010

छंद है दीपावली...!


अँधेरे के आवरण पर आघात है दीपावली
कुभाव-कुदृष्टि पर तुषारापात है दीपावली
जागरण है, चेतना-विश्वास है दीपावली
सदभाव के सदैव बिलकुल पास है
दीपावली
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धन से धर्म का अनुबंध है दीपावली
ख़ुद की हस्ती का जैसे छंद है दीपावली
ज्ञान का विवेक से संबंध है दीपावली
रौशनी को जीने का एक ढंग है
दीपावली
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