Friday, October 31, 2008

एक राही हो मगर चलता रहे !

दीप अच्छा है
अगर जलता रहे

मीत अच्छा है
अगर मिलता रहे

रास्ता तब तक
दुखी होगा नहीं

एक राही हो
मगर चलता रहे !
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Sunday, October 19, 2008

लीक से हटकर...!

लीक से हटकर हुआ
अपराध मुझसे मानता हूँ
कहूँ सूरज के आगे दीप मैंने रख दिया है !

इन्द्रधनुषी स्वप्न का बिखराव मैंने खूब देखा
वक़्त का रूठा हुआ बर्ताव मैंने ख़ूब देखा
पर सुबह की चाह मैंने ताक पर रखना न जाना
हर चुनौती को सहज जीवन का स्वीकृत सच लिया है

प्रश्नों के उत्तर नए देकर उलझना जनता हूँ
और हर उत्तर में गर्भित प्रश्न को पहचानता हूँ
जाने क्यों संसार मेरे प्रश्न पर कुछ मौन सा है
बेसबब इस मौन का हर स्वाद मैंने चख लिया है

स्वप्न मृत होते नहीं यदि मन की आँखें देख पाएँ
धीरे-धीरे ही सही पर दीप की लौ मुस्कुराए
कोई समझे या न समझे, मान दे या हँसे मुझ पर
लड़ सकूँ हर अँधेरे से मैंने ऐसा हठ किया है
लीक से हटकर ......

Friday, October 17, 2008

व्यक्तित्त्व.

अँधेरा चाहे जितना घना हो
पहाड़ चाहे जितना तना हो
एक लगन यदि लग जाए
एक कदम यदि उठ जाए
कम हो जाता है अँधेरे का असर
झुक जाती है पहाड़ की भी नज़र
अँधेरा तो रौशनी की रहनुमाई है
पहाड़ तो प्रेम की परछाईं है
आदमी के लिए अच्छा है
वह आलोक के लिए जले
कहीं पहुँचने के लिए चले
सच तो यह है कि
अंधकार के विपरीत
जो पूरी शक्ति से खड़ा होता है
उस आदमी का व्यक्तित्त्व
एक दिन उतना ही बड़ा होता है.
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Monday, October 13, 2008

मैदान है एक खेल का...!

तिल से तेल

पाने की कला सीखो

संकट सभी तुम सहज

झेल जाने की कला सीखो

मैदान है एक खेल का

मित्रों ये सारी ज़िंदगी

इसमें उतर के पाँव

जमाने की कला सीखो

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Saturday, October 11, 2008

मुसाफ़िर जाएगा कहाँ ?

सब तरफ़ है होड़
सबके बड़े सपने डोलते हैं
दौड़ में शामिल सभी हैं
वे बड़े हैं बोलते हैं
पर कहाँ जाना है
कोई भी बता मुझको न पाया
राज़ कब परवाज़ के
पंछी अचानक खोलते हैं !
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Thursday, October 9, 2008

रघुवीर होते हैं...!

जगत् को जीतने वाले
जगत् के वीर होते हैं
मगर मन जीतने वाले
जगत् में धीर होते हैं
असत पर सत्य की जो
जीत का संधान करते हैं
रहें वनवास चाहे
मगर रघुवीर होते हैं
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Saturday, October 4, 2008

मिलेगी एक दिन मंज़िल....!

न जाने दीप कितने रोज़
जलते और बुझते हैं
मगर जो चल रहे हैं लोग
बोलो कब वो रुकते हैं
कभी गर कारवां बन जाए
तो तय है बताऊँ मैं
मिलेगी एक दिन मंज़िल
भले रस्ते बदलते हैं।
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