ट्रक वालों से बचकर चलना
वरना वो तुम्हें कुचल देंगे
बाई द वे बच गए तो
पीछे लिखा ही होगा -
फिर मिलेंगे !!!
उन्होंने
होली पर
दुश्मन को
इस तरह मनाया
पहले मुंह पर
पोती कालिख
फिर गुलाल लगाया !!!
Wednesday, March 19, 2008
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4 comments:
जैन साहेब
अति उत्तम...आप का अंदाज़ निराला है. वाह.
नीरज
अच्छी पिचकारी है।
बहुत बढिया है , बधाई स्वीकारें !
सही!!
आपने मेरे मोहल्ले ब्राम्हणपारा मे होलिका दहन की रात्रि में अब तक हुए हादसों की याद दिला दी, आज़ाद चौक पर होलिका दहन के बाद प्रसाद बांटते हुए तीन लोग चपेट में आ चुके हैं।
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