किसी की चार दिन की ज़िंदगी में
सौ काम होते हैं
किसी का सौ बरस का जीना भी
बेकार होता है
किसी के एक आँसू पर हजारों
दिल तड़पते हैं
किसी का उम्र भर का रोना भी
बेकार होता है
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Wednesday, August 13, 2008
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8 comments:
बहुत सुन्दर
किसी के एक आँसू पर हजारों
दिल तड़पते हैं
किसी का उम्र भर का रोना भी
बेकार होता है
बहुत खूब जैन साहेब...आंसू पर एक शेर याद आ गया सुनिए:
हम तो ये ही बस समझे हैं, दामन जो भिगोदे पानी है
आँसू तो वोही इक कतरा है पलकों पे जो तडपे, बह ना सके
नीरज
बहुत खूब!
कोई हर रोज़ मरता है, शहादत कोई पाता है।
बहुत खूबसूरत कता है। बधाई।
बहुत सुन्दर , बधाई।
sundar...
बहुत जबरदस्त!!
धन्यवाद आप सब को अंतर्मन से.
नीरज जी,
गज़ब का शे'र है.
लीजिये मुझे भी एक और शे'र
याद आ गया ! आप जो महफ़िल में आए.
सुनिए -
अश्क जो पलकों पे ठहर जाएँ तो मोती समझो
और जो आँख से बह जाएँ तो कीमत न रहे.
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फिर एक बार आप सब का शुक्रिया
चन्द्रकुमार
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