एक नई सुबह लिखना एक नई शाम लिखना
अंदाज़ नया जीने का मेरे नाम लिखना
कोई नहीं किसी का हर शख्स यहाँ तन्हा
हो बात हमसफ़र की तो मेरा नाम लिखना
मैं जिसको गुनगुनाऊँ तो रूह तेरी महके
लिखना तो कोई नगमा दिल शादकाम लिखना
जो लोग आदमी को पैसों से तोलते हैं
बिक जायेंगे वो इक दिन कौड़ी के दाम लिखना
मज़हब के नाम पे है जो फ़र्क वो मिटा दें
मैंने सलाम भेजा तुम राम-राम लिखना
अहसास मोहब्बत का हो 'चन्द्र' तो बस ऐसा
दुश्मन के ज़ाम में भी अमृत का नाम लिखना
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Saturday, August 16, 2008
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23 comments:
kyaa baaaaaaaaat hai docter saab. bahut badhia
क्या बात है ... हर शेर कमाल. बहुत बढ़िया है भाई.
सादर अभिवादन डॉ .साहब
पहले तो मेरे ब्लॉग पर पधार कर प्रोत्साहन देने के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ
दूसरे आपकी इस शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई
ये शेर वाकई वजनी रहे
जो लोग आदमी को पैसों से तोलते हैं
बिक जायेंगे वो इक दिन कौड़ी के दाम लिखना
मज़हब के नाम है जो सब फ़र्क वो मिटा दो
मैंने सलाम भेजा तुम राम-राम लिखना
डॉ . साहब पहला शेर बड़ा मुकम्मिल है , बाद वाले शेर की बात काफ़ी खूबसूरत है ,
पर एक बार इसे इस तरह से पढ़ के देखिएगा
मज़हब के नाम पे है , जो फ़र्क वो मिटा दे
मैंने सलाम भेजा तुम राम-राम लिखना
मुझे लगा इससे बात और सीधी हो जाएगी , वैसे ये मेरा व्यक्तिगत विचार है बंधु
पूरा विश्वास है आप मेरी बात को " अन्यथा " नहीं लेंगे
और यही स्नेह आगे भी बनाए रखेंगे
आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा मे
डॉ उदय मणि
http://mainsamayhun.blogspot.com
umkaushik@gmail.com
सुबह की शुरुआत अगर एक बढ़िया रचना पढ़कर हो तो मन अच्छा हो जाता है, शुक्रिया डॉ साहिब।
अनिल जी
भाई मीत
डॉ.कौशिक
प्रियवर संजीत
आप सब का तहे दिल से शुक्रिया.
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डॉ.कौशिक
आपने जो सुझाव दिया है
उसमें मुझे सिर्फ़ अच्छाई
और नेकी नज़र आई.
लीजिये मैंने उसे जड़ दिया है
नगीने की तरह अपनी ग़ज़ल में.
======शुक्रिया.
डा.चन्द्रकुमार जैन
AtiSunder Dr. Shaheb, Mayusee par blog serch karte aap ki rachan tak pahuccha aur dil prasanna ho gaya. Shukriya, isko padhkar freshnes aa gayee aur man bola Wah kaya baat hai, Life is great.
pradeep
achhi rachna badhai
sarvottam
badhai
राम राम !
प्रदीप जी
योगेन्द्र जी
गिरीश जी
भाई संजीव जी
आभार आप सब का मन से.
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चन्द्रकुमार
क्या खूब लिखा है ..सच में काबिले तारीफ़ है ...
डाक साहब...बेहतरीन ग़ज़ल बन पड़ी है.
मंदिर से उठे अज़ान और मसजिद से राम नाम
बस तमन्ना यही कि ऐसा हो जाए कभी तो हमारा प्यारा देश पूरी दुनिया का सरताज बन जाए.
अनवर भाई शुक्रिया.
और संजय पटेल साहब
आपकी टिप्पणी बहुत
मायने रखती है.
आपका बहुत-बहुत आभार.
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चन्द्रकुमार
सुन्दर और सार्थक! दिल खुश हो गया डॉ. साहब!
धन्यवाद स्मार्ट साहब
आप तो यू.एस.ए. में
रहकर भी हिन्दी और
भारतीय चेतना का
प्रसार कर रहे हैं.
बधाई.============
डा.चन्द्रकुमार जैन
बहुत खूब डॉक्ट्सा,
अपने राम के भी सलाम राम राम दर्ज़ कर लें।
सूफ़ी, दरवेश, औलिया जो कहते रहे वहीं बानी और रवानी है इस ग़ज़ल में भी।
मज़हब के नाम पे है जो फ़र्क वो मिटा दें
मैंने सलाम भेजा तुम राम-राम लिखना
वाह! वाह! वाह!
क्या बात कही है सरजी.
आनंद आगया.
जो लोग आदमी को पैसों से तोलते हैं
बिक जायेंगे वो इक दिन कौड़ी के दाम लिखना।
मज़हब के नाम पे है जो फ़र्क वो मिटा दें
मैंने सलाम भेजा तुम राम-राम लिखना।
बहुत प्यारे शेर हैं। दिल से निकली बात है, सीधे दिल में उतर गयी।
शुक्रिया अजित जी
आपका मंतव्य अमूल्य है.
बालकिशनजी
और तस्लीम आपकी यहाँ
दस्तक उत्साह वर्धक है.
======आभार
डा.चन्द्रकुमार जैन
हर पक्तिं मे दम है ।
आपकी कविता मे सच्चे हिंदुस्तानी
की महक आ रही है।
धन्यवाद शैली और
शुभकामनाएँ
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चन्द्रकुमार
पवित्र भाव लिये लिखी कविता
बहुत अच्छी लगी !
- लावण्या
धन्यवाद लावण्या बहन.
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डा.चन्द्रकुमार जैन
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