Wednesday, January 21, 2009

....तो पूजा हुई !


किसी के काम आ जाएँ

अगर ये हाथ तो पूजा हुई !

किसी के दर्द में दो पल हुए

गर साथ तो पूजा हुई !

माना कि प्रार्थना में होंठ

रोज़ खुलते हैं मगर,

आहत दिलों से हो गई

कुछ बात तो पूजा हुई !

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6 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप की इस पूजा को नमन। हम तो इसी पूजा को पूजते हैं।

निर्मला कपिला said...

kitni sach baat aapne kuchh shabdon me kah di bdhaai

RDS said...

निदा फाज़ली का एक दोहा भी याद हो आया -

सबकी पूजा एक सी अलग अलग है रीत !
मस्जिद जाए मौलवी, कोयल गाये गीत !!

आपने जिस रीत की पूजा तय की वो सम्प्रदाय तो कब के नष्ट हो गए | इक्का दुक्का जो कर रहे हैं नास्तिक कहलाने लगे | भगवान का भी लाड उन्हें, जो उनकी चापलूसी करे |

असल देव उठनी कब होगी जब पूजा हर कोई आपकी पद्धति से करने लगेगा ?

- आर डी सक्सेना भोपाल

राज भाटिय़ा said...

जेन साहब ,यह आप की बताई पुजा सच्ची पुजा है,
धन्यवाद

Dr. Amar Jyoti said...

बहुत शानदार!रवीन्द्रनाथ टैगोर की 'Leave this chanting and singing'याद आ गई।

BrijmohanShrivastava said...

किसी के काम आजाये हाथ तो पूजा हुई ""मनुष्य पूजा ही ईश्वर पूजा है "" परोपकाराय पुण्याय पापाय पर पीडनम् ""किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार ,किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार जीना इसी का नाम है {राजकपूर )बहुत ही सुंदर पूजा कि विधि बताई "" घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ करलें ,किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जावे /