वे सुन नहीं सकते
हालांकि वे सुनना चाहते हैं
पेड़ों और हवाओं के गीत
दरियाओं का संगीत
आबी परिंदों की आवाजें
शहंशाह आलम की कविताएँ
कोशिश करें तो
वे भी सुन सकते हैं
सुनने की सारी चीजे हैं
इसलिए वे शहर बहरे नहीं हैं
हमीं ने उन्हें
बहरा किया हुआ है अनंत काल से !
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शहंशाह आलम की रचना।
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Thursday, September 2, 2010
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4 comments:
अच्छी पंक्तिया है .....
( क्या चमत्कार के लिए हिन्दुस्तानी होना जरुरी है ? )
http://oshotheone.blogspot.com
अच्छी प्रस्तुति
उम्दा………
अच्छी पंक्तिया है ....
एक बार जरुर पढ़े :-
(आपके पापा इंतजार कर रहे होंगे ...)
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_08.html
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