मेरी लड़की
बरसात का चित्र निकाल रही है
चित्रों में रंग भरते हुए वो मुझसे पूछती है
बाबा, बारिश को कौन सा रंग दूं ?
मैं क्या बताऊँ
उसे बारिश का कौन सा रंग बताऊँ ?
अंकुर पैदा होने वाली मिट्टी की खातिर
बारिश का रंग हरा होता है बताऊँ,
कि एक छतरी में चलने वाले उन दोनों के लिए
बारिश का रंग गुलाबी होता है, ऐसा बताऊँ ?
खेतों में नाचने वाले धान के दानों की खातिर
बारिश का रंग सफेद होता है, ऐसा बताऊँ,
कि उड़ चुके छप्पर वाली झोपड़ी के चूल्हे की खातिर
बारिश का रंग काला होता है, ऐसा बताऊँ,
कि युद्ध में शहीद हो चुकी विधवा की खातिर
बारिश का रंग लाल होता है, ऐसा बताऊँ ?
आप ही बताइए मैं क्या बताऊँ
उसे बारिश का कौन सा रंग बताऊँ ?
===================================
श्री प्रशांत असनारे की मूल मराठी कविता
अनुवाद किया है - श्री राजेश गनोदवाले ने।
नवभारत, रविवार 19 सितम्बर 2010 से साभार प्रस्तुत।
===================================
Saturday, September 18, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
8 comments:
अच्छी कविता ........
इसे भी पढ़कर कुछ कहे :-
(आपने भी कभी तो जीवन में बनाये होंगे नियम ??)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_19.html
बहुत सुन्दर और मार्मिक कविता|
ब्रह्माण्ड
दिल क़ी गहराई से लिखी गयी एक रचना , बधाई
पानी रे पानी ... पानी पनीला ही अच्छा. चित्र भी अच्छा निकला है.
बहुत ही भावपूर्ण !!!
पढवाने के लिए आभार !!!
प्रशांत की यह बहुत अच्छी कविता है यद्यपि अनुवाद में बहुत सारी कमियाँ हैं हिन्दी में मराठी का शब्दश: अनुवाद नहीँ हो सकता , फिर भी राजेश का यह प्रयास प्रशंसनीय है ।
क्या कहूँ ?
बहरहाल ... शुक्रिया पढवाने का ...
जीवन के हर रंग को समेटे ...भावपूर्ण कविता.....
Post a Comment