समीर : साँसों में समा जाते हैं जिनके दिल से लिखे गीत
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राष्ट्रीय किशोर कुमार
अलंकरण पर विशेष
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
खण्डवा में विख्यात गीतकार समीर को मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान से विभूषित किया गया। महान गायक एवं हरफनमौला कलाकार स्वर्गीय किशोर कुमार के नाम पर स्थापित यह सम्मान प्रत्येक वर्ष बारी-बारी से निर्देशन, अभिनय, पटकथा एवं गीत लेखन के क्षेत्र में प्रदान किया जाता है। उल्लेखनीय है कि गीतकार समीर राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी सेवा सम्मान से भी अलंकृत हो चुके हैं।
श्री समीर को यह सम्मान गीत लेखन के क्षेत्र में प्रदान किया गया है। इस सम्मान के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा गठित चयन समिति की एक बैठक कुछ समय पहले मुम्बई में आयोजित की गयी थी। चयन समिति में विख्यात पटकथाकार सलीम खान, अभिनेता निर्देशक सतीश कौशिक, प्रख्यात पार्श्व गायिका अनुराधा पौडवाल, गीत लेखक इब्राहिम अश्क तथा फिल्म पत्रकार जयप्रकाश चौकसे शामिल थे।
गीतकार समीर का जन्म 24 फरवरी 1958 में हुआ। वे हिन्दी सिनेमा जगत के श्रेष्ठ और निरन्तर सृजन सक्रिय गीतकार हैं। अपने समय के प्रतिष्ठित गीतकार अनजान के बेटे समीर तीन दशक से लगातार फिल्मों में एक गीतकार के रूप में अपनी सम्मानजनक उपस्थिति के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने माधुर्य भरे गीत लिखे हैं और वे गीत लोकप्रिय तथा यादगार रहे हैं। दिल, आशिकी, दीवाना, हम हैं राही प्यार के, कुछ कुछ होता है, बेटा, साजन, राजा हिन्दुस्तानी, फिजा, धड़कन, कभी खुशी कभी गम, देवदास, तेरे नाम, धूम, साँवरिया, राओड़ी राठौड़, दबंग-2 आदि अनेक ऐसी फिल्म हैं जिनमें समीर के लिखे गीत सुनने वालों की जुबां पर लम्बे समय बने रहे हैं। उन्हें अनेक वर्ष निरन्तर फिल्म फेयर पुरस्कार मिले हैं, आइफा, स्क्रीन अवार्ड प्राप्त हुए हैं। उत्तरप्रदेश सरकार का यश भारती सम्मान भी प्राप्त हुआ है।
गीतकार समीर ने 635 फिल्मों में पाँच हजार से अधिक गीत रचे हैं। अनेक लोकप्रिय फिल्मों में समाहित उनके गीतों को देश-दुनिया में बहुत गाया-गुनगुनाया गया। वे अनु मलिक और नदीम-श्रवण से लेकर आनंद-मिलिंद, हिमेश रेशमिया और दिलीप सेन,समीर सेन तक कई संगीतकारों के चहेते गीतकार रहे हैं।
बैंक अधिकारी के रुप में अपने कैरियर की शुरूआत करने के बाद बालीवुड में अपने गीतों से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध करने वाले गीतकार समीर लगभग चार दशक से सिनेप्रेमियों के दिलों पर राज कर रहे है। उन्होंने हिन्दी के अलावा भोजपुरी, मराठी फिल्मों के लिये भी गीत लिखे है। काफी मेहनत करने के बाद 1983 में उन्हें बतौर गीतकार बेखबर फिल्म के लिये गीत लिखने का मौका मिला। इस बीच समीर को इंसाफ कौन करेगा, जवाब हम देगे, दो कैदी, रखवाला, महासंग्राम,बाप नंबरी बेटा दस नंबरी जैसी कई बड़े बजट की फिल्मों में काम करने का अवसर मिला लेकिन इन फिल्मों की असफलता के कारण वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में नाकामयाब रहे।
लगभग दस वर्ष तक मुंबई में संघर्ष करने के बाद समीर गीतकार के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गये।वर्ष 1990 में ही उन्हें महेश भट्ट की फिल्म आशिकी में भी गीत लिखने का अवसर मिला। फिल्म आशिकी में सांसों की जरूरत है जैसे, मैं दुनिया भूला दूंगा और नजर के सामने जिगर के पास गीतों की सफलता के बाद समीर को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गये।जिनमें बेटा, बोल राधा बोल, साथी, और फूल और कांटे जैसी बडे बजट की फिल्में शामिल थी। इन फिल्मों की सफलता के बाद उन्होंने सफलता की नयी बुलंदियों को छुआ और एक से बढकर एक गीत लिखकर श्रोताओं को मंत्रमुंग्ध कर दिया।
वर्ष 1997 में अपने पिता अंजान की मौत और अपने मार्गदर्शक गुलशन कुमार की हत्या के बाद समीर को गहरा सदमा पहुंचा। इस हत्याकांड में संगीतकार नदीम का नाम आने पर उन्होंने कुछ समय तक फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया और वापस बनारस चले गये थे। बहरहाल समीर अपने गीतों की तरह उनके चाहने वालों की साँसों की ज़रुरत बने हुए हैं।
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राजनांदगांव। मो.9301054300
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