bahut sachhi baat kahi bahut khub.
जैन साहेब आप की ये रचनाएँ सतसई के दोहों की तरह हैं " देखन में चोटी लगें घाव करें गंभीर" . छोटे छोटे सार्थक शब्दों से आप कितनी बड़ी बात जिस सहज भाव से कह जाते हैं उसे पढ़ कर मुग्ध हुए बिना नहीं रहा जा सकता.नीरज
आज दुःख तो कल सुख का साथ होगाबहुत खुब,उम्मीद ही तो जीना सिखाती हे,हर रात के बाद दिन भी जरुर निकलता हे, चन्द्र कुमार जी धन्यवाद
आशावाद से भरी चंद पंक्तियों में गहरी बात, बधाई.
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bahut sachhi baat kahi bahut khub.
जैन साहेब
आप की ये रचनाएँ सतसई के दोहों की तरह हैं " देखन में चोटी लगें घाव करें गंभीर" . छोटे छोटे सार्थक शब्दों से आप कितनी बड़ी बात जिस सहज भाव से कह जाते हैं उसे पढ़ कर मुग्ध हुए बिना नहीं रहा जा सकता.
नीरज
आज दुःख तो कल सुख का साथ होगा
बहुत खुब,उम्मीद ही तो जीना सिखाती हे,हर रात के बाद दिन भी जरुर निकलता हे,
चन्द्र कुमार जी धन्यवाद
आशावाद से भरी चंद पंक्तियों में गहरी बात, बधाई.
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