तुम ऐसे दौर में शोहरत की बात मत करना
नमक के पानी में शरबत की बात मत करना
ख़याल अपने ही किरदार का अगर आए
तो इस ज़माने में इज्ज़त की बात मत करना
वफ़ा की राह में चलना अगर गवारा हो
ज़माने भर की शिकायत की बात मत करना
किसी के वास्ते सब कुछ अगर लुटाना हो
तो भूल कर कभी शोहरत की बात मत करना
नज़रिया चाहे किसी का हो अपनी नज़रों से
जो चाहो देखना तोहमत की बात मत करना
जो चल सको तो चलो नेकियों की ज़ानिब तुम
ये राह प्यार की दौलत की बात मत करना
जो कर सको तो करो बन पड़े भला जो भी
भलाई छोड़ कर ज़न्नत की बात मत करना
Monday, April 7, 2008
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5 comments:
जैन साहेब
किसी के वास्ते सब कुछ अगर लुटाना हो
तो भूल कर कभी शोहरत की बात मत करना
जो चल सको तो चलो नेकियों की ज़ानिब तुम
ये राह प्यार की दौलत की बात मत करना
मुश्किल काफिये लेकर कितनी आसानी से आपने ग़ज़ल कह दी है...वाह वा करता थकता नहीं. एक एक शेर मोतियों सा पिरोया है आपने इस माला में. भाव और शब्द दोनों बेमिसाल.
नीरज
वफ़ा की राह में चलना अगर गवारा हो
ज़माने भर की शिकायत की बात मत करना
वाह वाह ! क्या बात है भाई. लाजवाब. हर शेर कमाल. वाह !
नज़रिया चाहे किसी का हो अपनी नज़रों से
जो चाहो देखना तोहमत की बात मत करना
जो चल सको तो चलो नेकियों की ज़ानिब तुम
ये राह प्यार की दौलत की बात मत करना
wah bahut bahut badhiya
http://mehhekk.wordpress.com/ (hamara hindi blog hai)
बहुत बहुत बढ़िया...दाद कबूलें. वाह!!
hum to daad deney laayaq bhi nahi..bas bahut baar padhi hai puuri gazal...shukriyaa JAIN ji
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