ये जो मेरे चेहरे पर खुशियों का साया लगता है
अपनों से ही मैंने अपना दर्द छुपाया लगता है
सच है दुनिया वाले उसको मेरा अपना कहते हैं
मेरा हमदम है लेकिन क्यों मुझे पराया लगता है
उम्मीदों के दीप यहाँ जलते आए हैं बरसों से
फिर दहशत, अवसाद का बस्ती में क्यों साया लगता है
जैसे शीशे टूट रहे हों, टूट रहे हैं रिश्ते भी
शायद संबंधों पर एक भूचाल-सा आया लगता
बातें गैरों से अपनेपन की क्यों करता दीवाना
शायद उसको भी अपनों ने बहुत सताया लगता है
इस दुनिया में सोचो हसरत किसकी पूरी होती है
जिसको देखो वही अधूरा,कुछ न पाया लगता है
अपनों से ही मैंने अपना दर्द छुपाया लगता है
सच है दुनिया वाले उसको मेरा अपना कहते हैं
मेरा हमदम है लेकिन क्यों मुझे पराया लगता है
उम्मीदों के दीप यहाँ जलते आए हैं बरसों से
फिर दहशत, अवसाद का बस्ती में क्यों साया लगता है
जैसे शीशे टूट रहे हों, टूट रहे हैं रिश्ते भी
शायद संबंधों पर एक भूचाल-सा आया लगता
बातें गैरों से अपनेपन की क्यों करता दीवाना
शायद उसको भी अपनों ने बहुत सताया लगता है
इस दुनिया में सोचो हसरत किसकी पूरी होती है
जिसको देखो वही अधूरा,कुछ न पाया लगता है
10 comments:
बहुत खूब... सामाजिक ताने-बाने व रिश्तों के दरकने का दर्द ग़ज़ल में बहुत सुंदर तरीके से बयां किया है... बधाई।
बहुत शानदार गजल है. जीवन की सच्चाई लिए हुए. सारे शेर बहुत अच्छी लगे.
बहुत खूब डॉ साहिब!
बेहद अच्छी गज़ल है
ये जो मेरे चेहरे पर खुशियों का साया लगता है
अपनों से ही मैंने अपना दर्द छुपाया लगता है
बातें गैरों से अपनेपन की क्यों करता दीवाना
शायद उसको भी अपनों ने बहुत सताया लगता है
वाह!!
***राजीव रंजन प्रसाद
ये जो मेरे चेहरे पर खुशियों का साया लगता है
अपनों से ही मैंने अपना दर्द छुपाया लगता है
बातें गैरों से अपनेपन की क्यों करता दीवाना
शायद उसको भी अपनों ने बहुत सताया लगता है
क्या कमाल किया है भाई. कैसे कहूं जो कहना है ??
जिन्दगी के दर्द को अभिव्यक्त करती प्यारी बात कही है डाक साब आपने.
शब्द आपके ग़ज़ल आपकी
लेकिन इसमे छुपे दर्द में अपना दर्द सुनाई देता है.
ये जो मेरे चेहरे पर खुशियों का साया लगता है
अपनों से ही मैंने अपना दर्द छुपाया लगता है
-बहुत खूब भाई. शानदार. बधाई.
"इस दुनिया में सोचो हसरत किसकी पूरी होती है
जिसको देखो वही अधूरा,कुछ न पाया लगता है"
वाह! वाह! वाह!
क्या शानदार रचना है.
जी करता है पढता ही रहूँ.
बहुत-बहुत आभार..
ये जो मेरे चेहरे पर खुशियों का साया लगता है
अपनों से ही मैंने अपना दर्द छुपाया लगता है ----------
इस दुनिया में सोचो हसरत किसकी पूरी होती है
जिसको देखो वही अधूरा,कुछ न पाया लगता है
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pahel aur aakhiri sheer ne to jaise poori daastaan keh di ho... bahut khoob...
सच, आप सब के स्नेह व सरोकार के
आभार के लिए अल्फ़ाज़ नहीं सूझते हैं.
बस यही की मेरी मंगल कामना है कि
आपका सोच-संवेदन-सृजन का जीवन
निरंतर प्रशस्त होता रहे.
आपके भावों एवं विचारों से
समय और समाज की धड़कनों को जीने का
अवसर सबको मिलता रहे.
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शुभ भावों सहित
चंद्रकुमार
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