थके हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटें
सलीकामंद शाखों का लचक जाना ज़रूरी है
- वसीम बरेलवी
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आ गया मैं किसी जुगनू के नज़र में कैसे
बूँद भर नर्म उजाला मेरे घर में कैसे
- मुज़फ्फ़र हनफी
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ख़ुद मुसीबत में मुसीबत हर तरफ़ से घिर गई
मेरे घर आई तो लेकिन आ के पछताई बहुत
- सलीम अहमद ज़ख्मी
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हमीं को क़त्ल करते हैं,हमीं से पूछते हैं वो
शहीदे-नाज़ बतलाओ मेरी तलवार कैसी है
- नामालूम
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हाल घर का न कोई पूछने वाला आया
दोस्त भी आए तो मौसम की सुनाने आए
- नामालूम
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9 comments:
bahut sundar
ख़ूब चुना।
हर बार की तरह उम्दा चयन...बधाई.
बड़े चुनिंदा शेर चुन कर लाये हैं, आभार.
नामालूम का नामाकूल आखिरी शेर बहुत पसंद आया।
वाह...चुन चुन कर शेर लाये हैं! बहुत ही बढ़िया ...
आप तो पूरा कलेक्शन किये लगते हैं. अच्छा है... मुझे प्रोत्साहन मिलता रहेगा डायरी से ब्लोग पर उतार देने का|
वाह.
वाह
बहुत खूब.
आभार.
आप सब का शुक्रिया
तहे दिल से.
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डा.चंद्रकुमार जैन
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