Tuesday, June 17, 2008

आख़िर क्या है आदमी....?


आदमी क्या है, डोली के कहारों से पूछो
आदमी क्या है, यौवन की बहारों से पूछो
आदमी क्या है, लकड़ी के सहारों से पूछो
आदमी क्या है, चिता के अंगारों से पूछो

7 comments:

रंजू भाटिया said...

अच्छे गहरे भाव चंद पंक्तियों में लिख दिए हैं आपने

रंजना said...

बहुत ही सुंदर,पर बहुत छोटी सी है.तनिक विस्तार दीजिये.हम प्रतीक्षारत हैं आपके इसी भावपूर्ण विस्तृत रचना के लिए.

cartoonist ABHISHEK said...

thode se shabdon men
bahut badi baat kah di aapne,
badhai..

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

mehek said...

bahut gehre bhav bahut sundar badhai

Dr. Chandra Kumar Jain said...

आभार आप सब का.
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चन्द्रकुमार

नीरज गोस्वामी said...

जैन साहेब
हमेशा की तरह कमाल की रचना....कितनी सच्ची बात कही है आपने. वाह...वाह.
नीरज