फूल खिले झर गएकाँटे मिले बिखर गएvha bhut kuub.likhate rhe.
बहुत बढ़िया.
सही है. लेकिन मन को ये बात समझ नहीं आती.
जो आज हैवह कल नहीं है.सही लिखा आपने ,लेकिन कितने लोग समझ पाते हैं इस बात को
kaash man ye baat maan pata to zindgi main khone ka dar nahi hotabahut achha laga aapki soch se milna
sundar kavita...sachche bhaav liye.
बहुत सुंदर रचना है...सच्चाई से ओत-प्रोत... बहुत-बहुत बधाई...
सादी जबान....छोटे छोटे शब्द... गहरे भाव...ये बन चुकी है अब जैन साहेब की पहचान. बेहतरीन रचना.नीरज
बहुत बढ़िया...जीवन का फलसफा..
कितनी सदाशयता !कैसी अनुराग भरी संस्तुति !======================आभारचन्द्रकुमार
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10 comments:
फूल खिले झर गए
काँटे मिले बिखर गए
vha bhut kuub.likhate rhe.
बहुत बढ़िया.
सही है. लेकिन मन को ये बात समझ नहीं आती.
जो आज है
वह कल नहीं है.
सही लिखा आपने ,लेकिन कितने लोग समझ पाते हैं इस बात को
kaash man ye baat maan pata to zindgi main khone ka dar nahi hota
bahut achha laga aapki soch se milna
sundar kavita...sachche bhaav liye.
बहुत सुंदर रचना है...
सच्चाई से ओत-प्रोत... बहुत-बहुत बधाई...
सादी जबान....छोटे छोटे शब्द... गहरे भाव...ये बन चुकी है अब जैन साहेब की पहचान. बेहतरीन रचना.
नीरज
बहुत बढ़िया...जीवन का फलसफा..
कितनी सदाशयता !
कैसी अनुराग भरी संस्तुति !
======================
आभार
चन्द्रकुमार
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