Thursday, June 19, 2008

आज है.....कल नहीं है !


फूल खिले झर गए
काँटे मिले बिखर गए
सुख आया चला गया
दुःख आया नहीं रहा
मिलना और बिछुड़ जाना
यही तो है
जीवन का ताना-बाना
नियम बस यही है
जो आज है
वह कल नहीं है.

10 comments:

jasvir saurana said...

फूल खिले झर गए
काँटे मिले बिखर गए
vha bhut kuub.likhate rhe.

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया.

अमिताभ मीत said...

सही है. लेकिन मन को ये बात समझ नहीं आती.

रंजू भाटिया said...

जो आज है
वह कल नहीं है.

सही लिखा आपने ,लेकिन कितने लोग समझ पाते हैं इस बात को

श्रद्धा जैन said...

kaash man ye baat maan pata to zindgi main khone ka dar nahi hota

bahut achha laga aapki soch se milna

pallavi trivedi said...

sundar kavita...sachche bhaav liye.

Dr.Bhawna Kunwar said...

बहुत सुंदर रचना है...
सच्चाई से ओत-प्रोत... बहुत-बहुत बधाई...

नीरज गोस्वामी said...

सादी जबान....छोटे छोटे शब्द... गहरे भाव...ये बन चुकी है अब जैन साहेब की पहचान. बेहतरीन रचना.
नीरज

Shiv Kumar Mishra said...

बहुत बढ़िया...जीवन का फलसफा..

Dr. Chandra Kumar Jain said...

कितनी सदाशयता !
कैसी अनुराग भरी संस्तुति !
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आभार
चन्द्रकुमार