सुंदर भाव
वाह वाह
ati sundar...
काँच, काँच है बेशक चमकेगा लेकिनजो हीरा है,मुकुट-मणि बन जाता हैवाह चंद्र जी, लेकिन आज कल काँच और हीरे का अंतर मिटने लगा है...***राजीव रंजन प्रसादwww.rajeevnhpc.blogspot.com
सही है डॉ साहब. बात तो पते की है.
"जिसको बाहर है ढूंढता फिरतावो ही हीरा तेरी खदान में है"बहुत छोटी लेकिन गहरी रचना...आप आप ही हैं..लेखन में भी और व्यक्तित्व में भी...नीरज
आभार आप सब का.===============डा.चन्द्रकुमार जैन
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8 comments:
सुंदर भाव
वाह वाह
ati sundar...
वाह वाह
काँच, काँच है बेशक चमकेगा लेकिन
जो हीरा है,मुकुट-मणि बन जाता है
वाह चंद्र जी, लेकिन आज कल काँच और हीरे का अंतर मिटने लगा है..
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***राजीव रंजन प्रसाद
www.rajeevnhpc.blogspot.com
सही है डॉ साहब. बात तो पते की है.
"जिसको बाहर है ढूंढता फिरता
वो ही हीरा तेरी खदान में है"
बहुत छोटी लेकिन गहरी रचना...आप आप ही हैं..लेखन में भी और व्यक्तित्व में भी...
नीरज
आभार आप सब का.
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डा.चन्द्रकुमार जैन
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