Sunday, August 3, 2008

जीवन लक्ष्य मिला...!

आँखों के खारे पानी से

किसका जग में काम चला

वज्र ह्रदय मानव ही देते हैं

संकट की शान गला

निर्बलता,कायरता सारे

दोषों की जननी होती

निर्भय होकर चलने वालों

को ही जीवन-लक्ष्य मिला
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11 comments:

रंजू भाटिया said...

निर्बलता,कायरता सारे

दोषों की जननी होती

निर्भय होकर चलने वालों

को ही जीवन-लक्ष्य मिला


सुंदर

बालकिशन said...

उम्दा... बेहतरीन
उत्कृष्ट रचना.

डॉ .अनुराग said...

निर्भय होकर चलने वालों

को ही जीवन-लक्ष्य मिला
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khari baat kah di gurudev...

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया लिखा है।

निर्बलता,कायरता सारे

दोषों की जननी होती

निर्भय होकर चलने वालों

को ही जीवन-लक्ष्य मिला

नीरज गोस्वामी said...

सत्य वचन जैन साहेब...सत्य वचन...एक दम सोलह आने खरी बात....
नीरज

पारुल "पुखराज" said...

bahut sahii

राजीव रंजन प्रसाद said...

निर्भय होकर चलने वालों
को ही जीवन-लक्ष्य मिला

बेहद आशावादी..


***राजीव रंजन प्रसाद

Udan Tashtari said...

निर्भय होकर चलने वालों
को ही जीवन-लक्ष्य मिला

--सुन्दर संदेश देती रचना. बधाई.

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर! थोड़े से शब्दों में बहुत बड़ा जीवन दर्शन लिख दिया।
घुघूती बासूती

योगेन्द्र मौदगिल said...

अच्छी कविता
बधाई

Dr. Chandra Kumar Jain said...

आभार अंतर्मन से
आप सब के स्नेह का.
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चन्द्रकुमार