Sunday, August 31, 2008

जीवन उनका धन्य...!

जीवन उनका धन्य

कि जिनके उपवन का हर फूल खिला

धन्य मृत्यु वह जिसको

स्मृतियों का अनुपम हार मिला

कर्मवीर के आगे पथ का

हर पत्थर साधक बनता है

धन्य-धन्य वह मनुज

जिसे सत्कर्मों का उपहार मिला

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9 comments:

नीरज गोस्वामी said...

धन्य तो आप कर रहे हैं हमें...रोज जीवन जीने के अमूल्य सूत्र बता कर...क्या कहें...बहुत ही सुंदर रचना.
नीरज

Abhishek Ojha said...

सहमत हूँ नीरजजी से ... !

Dr. Chandra Kumar Jain said...

....और मैं आप सब से
बहुत कुछ चुपचाप सीखता जा रहा हूँ.
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धन्यवाद आपका.
चन्द्रकुमार

रंजू भाटिया said...

जीवन के लिए आपके यह लफ्ज़ बहुत अच्छे लगे ..

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप की रचना-माल में सब मणियाँ हैं।

Dr. Chandra Kumar Jain said...

रंजना जी आपका शुक्रिया.

आदरणीय द्विवेदी जी
आपकी टिप्पणी अमूल्य है.
इसे मैं आपके स्नेह के रूप में
सहेज कर रखता हूँ. धन्यवाद.
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चन्द्रकुमार

राज भाटिय़ा said...

जीवन उनका धन्य

कि जिनके उपवन का हर फूल खिला
बहुत ही अच्छी बात कही हे आप ने , ओर हर किसी की किस्मत मे यह नही होता,
धन्यवाद

श्रीकांत पाराशर said...

Dr saheb, gagar men saagar bhar diya aapne. ek utkrist rachana.

Dr. Chandra Kumar Jain said...

राज साहब और श्रीकान्त जी,
आपका आना बहुत प्रियकर है
आभार आपका.
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चन्द्रकुमार