किरणों के माली जाने क्यों
अँधियारों के दास बन गए !
हँसी बाँटते थे जो कल तक
देखो आज उदास बन गए !
जीवन का निर्वाह हो गया
इतना जीवन पर हावी है,
देने वाले 'आम' रह गए
लेने वाले 'ख़ास' बन गए !
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जीवन का निर्वाह हो गया इतना जीवन पर हावी है,देने वाले 'आम' रह गएलेने वाले 'ख़ास' बन गए !बहुत sunder बात कह दी आपने
वाह डाक्साब वाह्।
हंसी बांटते थे जो कल तक आज वो उदास हो गये क्या सुन्देर अभिव्यक्ति है
हँसी बाँटते थे जो कल .. आज उदास बन गए ! बहुत खूब कहा आपने
देने वाले 'आम' रह गएलेने वाले 'ख़ास' बन गए आम और खास को किस खूबसूरती से परिभाषित किया है आपने...जितनी प्रशंशा करूँ कम है...वाह..नीरज
जीवन की विडम्बना का मुखर चित्र।बधाई।
ऐसा ही नियम है प्रकृति का। यह शाश्वत अंतर्विरोध है जिस का हल करने में मनुष्य जुटा है। कब हल होता है यह आने वाला वक्त बताएगा।
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8 comments:
जीवन का निर्वाह हो गया
इतना जीवन पर हावी है,
देने वाले 'आम' रह गए
लेने वाले 'ख़ास' बन गए !
बहुत sunder बात कह दी आपने
वाह डाक्साब वाह्।
हंसी बांटते थे जो कल तक आज वो उदास हो गये
क्या सुन्देर अभिव्यक्ति है
हँसी बाँटते थे जो कल .. आज उदास बन गए ! बहुत खूब कहा आपने
देने वाले 'आम' रह गए
लेने वाले 'ख़ास' बन गए
आम और खास को किस खूबसूरती से परिभाषित किया है आपने...जितनी प्रशंशा करूँ कम है...वाह..
नीरज
देने वाले 'आम' रह गए
लेने वाले 'ख़ास' बन गए
आम और खास को किस खूबसूरती से परिभाषित किया है आपने...जितनी प्रशंशा करूँ कम है...वाह..
नीरज
जीवन की विडम्बना का मुखर चित्र।
बधाई।
ऐसा ही नियम है प्रकृति का। यह शाश्वत अंतर्विरोध है जिस का हल करने में मनुष्य जुटा है। कब हल होता है यह आने वाला वक्त बताएगा।
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