दाँव का भरोसा करो, बल का नहीं,
काम का भरोसा करो, फल का नहीं।
भरोसवादी बनना बुरा नहीं है पर,
आज का भरोसा करो, कल का नहीं।।
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क़दम आगे बढ़ता नहीं,जोशीले नारों से क्या होगा,
पृथ्वी पर प्रकाश फैला न सके,सितारों से क्या होगा।
रचनात्मक काम ही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए,
अन्यथा कार्यकर्ताओं की लम्बी कतारों से क्या होगा।।
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श्री मणिप्रभ सागर जी के मुक्तक साभार.
1 comment:
बढिया मुक्तक हैं।बधाई।
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