नदी के हाथ निर्झर की मिली पाती समंदर को
सतह भी आ गई गहराइयों तक तुम नहीं आए
किसी को देखते ही आपका आभास होता है
निगाहें आ गईं परछाइयों तक तुम नहीं आए
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बलबीर सिंह 'रंग'
Tuesday, July 14, 2009
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5 comments:
बहुत बढ़िया पंक्तियां...
किसी को देखते ही आपका आभास होता है
निगाहें आ गईं परछाइयों तक तुम नहीं आए
bahut khub
खुब सुन्दर!!!!
आभार/शुभकामनाओ सहित
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
"निगाहें आ गईं परछाइयों तक तुम नहीं आए"
क्या कता है वाह...'रंग' साहेब को सलाम...
नीरज
किसी को देखते ही आपका आभास होता है
निगाहें आ गईं परछाइयों तक तुम नहीं आए
bahut hi badhiya.......natamastak
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