Friday, August 28, 2009

आशा और अभिलाषा.

आशा में ही
इस जीवन की
अभिलाषा का बीज छुपा है
दिव्य शिखर छू लिया
कि जो भी
विनत भाव से सहज झुका है।
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3 comments:

नीरज गोस्वामी said...

हमेशा की तरह प्रेरक बात...
नीरज

ओम आर्य said...

आशा और अभिलाषा .........एक उर्जा देती रचना

राज भाटिय़ा said...

वाह क्या बात है, बहुत सुंदर