Tuesday, September 1, 2009

हँसी में रुदन...रुदन में हँसी !

हँसी में रुदन के आँसू मुझे दिखने लगे हैं

रुदन के आँसुओं पर अब हँसी आने लगी है

बनें सौ बार रोने के भले हालात तो क्या

हजारों सबब हैं बरबस ख़ुशी छाने लगी है।

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3 comments:

ओम आर्य said...

क्या बात है!!!!!!!!!!!!

राज भाटिय़ा said...

हँसी में रुदन के आँसू मुझे दिखने लगे हैं

रुदन के आँसुओं पर अब हँसी आने लगी है
जबाब नही, बहुत सुंदर.
धन्यवाद

रंजना said...

वाह !! क्या बात कही है आपने....एकदम सही..