Sunday, September 6, 2009

हम चल रहे हैं....!

जब तारों की रोशनी का
स्रोत सूख जाएगा
हम देंगे रोशनी रातों को
जब हवा पत्थर में बदल जायेगी
हम हवा को चलाएंगे
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ज्वीग्न्येव हर्बर्त

3 comments:

Udan Tashtari said...

आभार इसे यहाँ प्रस्तुत करने का.

अनिल कान्त said...

pasand aaya aapka likha hua

रंजना said...

Waah !!! Kya baat kahi.....