भगवान से प्रार्थना कीजिए,याचना नहीं।
आपकी स्थिति ऐसी नहीं कि
कमजोरियों के कारण
किसी का मुँह ताकना पड़े
और याचना के लिए हाथ फैलाना पड़े
प्रार्थना कीजिए कि
मेरा प्रसुप्त आत्मबल जागृत हो
प्रकाश का दीपक जो विद्यमान है
वह टिमटिमाए नहीं
वरन रास्ता दिखाने की स्थिति में बना रहे
मेरा आत्मबल मुझे धोखा न दे
समग्रता में न्यूनता का भ्रम न होने दे
जब परीक्षा लेने और शक्ति निखारने हेतु
संकटों का झुंड आए
तब मेरी हिम्मत बनी रहे
और जूझने का उत्साह भी
लगता रहे कि ये बुरे दिन
अच्छे दिनों की सूचना देने आए हैं
प्रार्थना कीजिए कि हम हताश न हों
लड़ने की सामर्थ्य को
पत्थर पर घिसकर धार रखते रहें
योद्धा बनने की प्रार्थना करनी है
भिक्षुक बनने की नहीं
जब अपना भिक्षुक मन गिड़गिडाए
तो उसे दुत्कार देने की प्रार्थना भी
भगवान से करते रहें।
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अखंड ज्योति से साभार प्रस्तुत.
Sunday, October 18, 2009
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7 comments:
आपको दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाये
सही कहा आपने..उत्तम संदेश देती रचना.
योद्धा बनने की प्रार्थना करनी है
भिक्षुक बनने की नहीं
बिलकुल सही -- याचना क्यूँ, यह तो भिक्षुक बना देगा.
बिलकुल सही लिखा आप ने.
धन्यवाद
बहुत बढ़िया , नए अंदाज़ के लिए शुभकामनायें !!
बहुत सुन्दर भाव.. पूर्णतया सार्थक.
जब भी भीख मांगोगे शैतान मिलेगा,
भीख में भगवान किसी को नहीं मिला।
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