मैंने तुम्हारे दुःख से
अपने को जोड़ा
और
अकेला हो गया
मैंने तुम्हारे सुख से
अपने को जोड़ा
और
छोटा हो गया
मैंने सुख-दुःख से परे
अपने को तुमसे जोड़ा
और
अर्थहीन हो गया
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सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता साभार
Saturday, November 7, 2009
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8 comments:
मैंने सुख-दुःख से परे
अपने को तुमसे जोड़ा
और
अर्थहीन हो गया
वाह जैन साहब वाह...सक्सेना जी की ये रचना पढ़वा कर आपने हम पाठकों पर बहुत उपकार किया है...बहुत दिनों बाद लौटे हैं आप उम्मीद हैं कुशल पूर्वक होंगे...इतने इतने दिनों तक अदृश्य रहना ठीक नहीं...:))
नीरज
बहुत सुंदर कविता आप का ओर सक्सेना जी का धन्यवाद
waah sukh se joda to chhota ho gaya
aur phir sukh dukh se pare joda to arth heen ho gaya
kam shabdon mein sari bhaavnayen likh di hai
gahan bhaav!
kuchh hi panktiyon mein kitna kah daala!waah!
Waah !!! Gahan arthyukt Bahut bahut sundar rachna !!!
Ati sundar kavita..
nice
Simply great.
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