Wednesday, December 23, 2009

सुना है आपने...?

होंठ बुदबुदाते हैं,
दुआ मांगते हैं,
वह सुनी है आपने ?
हर आरज़ू के पीछे
क्या होता है
ज़िम्मेदारी या प्यार
स्नेह, किसी कमी का
एहसास या
वह पूरी होगी ही
ऐसा अटूट विश्वास
हर ख़्वाहिश के पीछे कुछ
गूंजता है,
सुना है आपने ?
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प्रियंका शुक्ला की पंक्तियाँ, दैनिक भास्कर की
मधुरिमा से साभार...

5 comments:

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी

Udan Tashtari said...

आभार प्रियंका शुक्ला जी की रचना प्रस्तुत करने का.

अजय कुमार said...

प्रियंका जी को अच्छी रचना के लिये बधाई तथा हम तक पहुंचाने के लिये आपका आभार

रंजना said...

Waah...chintaneey panktiyan...

श्रद्धा जैन said...

bahut sunder panktiyan aap padhaane ke liye laaye hain
shukriya