समय है
लोग हैं
चीजें हैं
नहीं है तो
समय की
लोगों की
चीजों की समझ
हवा है
पृथ्वी है
जल है
नहीं है तो
हवा को
पृथ्वी को
जल को
सहेज कर रखने की
समझ
समय रहते जरूरी है
सबकी परख
और
सहेजकर रखने की जिद.....!
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हृदयेश मयंक की रचना साभार प्रस्तुत.
Monday, April 5, 2010
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1 comment:
समय है
लोग हैं
चीजें हैं
नहीं है तो
समय की
लोगों की
चीजों की समझ !!!
कितना सही कहा गया है...
इस छोटी सी रचना में कितनी गहरी और बड़ी बात कही गयी है...बस इतना भर भी लोग अपने मन में बैठा लें तो जीवन और जहां कितना सुन्दर बन जायेगा...
सुन्दर प्रेरणादायक रचना प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार...
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