Tuesday, August 27, 2013

डिग्री के साथ जॉब के बढ़ते अवसर 

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डॉ .चन्द्रकुमार जैन 


कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में डिग्री कोर्स के साथ-साथ पार्टटाइम सर्टिफिकेट या एड ऑन कोर्स अब युवाओं की जरूरत बन गई है। ज्यादातर छात्रों के मन में यह बात घर कर गई है कि डिग्री लेने से ही नौकरी नहीं मिल जाती। रोजगार के बाजार में प्रोफेशनल स्किल्स की मांग ज्यादा है। इन जरूरतों को देखते हुए ही संस्थानों ने अपने यहां किसी फील्ड या प्रोफेशन विशेष का स्किल सिखाने के लिए तरह-तरह के कोर्स शुरू किए हैं डिग्री भी, जॉब भी। देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से ये कोर्स कर ज्ञान और अवसर दोनों से लाभान्वित हो सकते हैं। 

कहीं कंप्यूटर से जुड़ा कोर्स है तो कहीं मीडिया, टूर एंड ट्रैवल से संबंधित कोर्स । कहीं अंग्रेजी स्पीकिंग का कोर्स है तो कहीं पर्सनालिटी डेवलपमेंट का। आमतौर पर तीन माह से लेकर एक साल के इन कोर्सेज को ही पार्ट टर्म या पार्टटाइम कोर्स कहा गया है। इन कोर्सेज के पाठ्यक्रम को कहीं घंटों में बांटा गया है तो कहीं महीने या सत्र में। मसलन, फिंगर प्रिंट्स का कोर्स का एक सेशन 50 घंटे की क्लास से पूरा हो ता है। इसी तरह पर्सनालिटी डेवलपमेंट के कोर्स की अवधि 100 घंटे है। कोर्स का मकसद छात्रों को डिग्री के साथ-साथ रो जगार के लिए अतिरिक्त हुनर सिखाना है । इससे छात्रों को अपना बॉयोडाटा भी मजबूत करने में मदद मिलती है । तीन साल का स्नातक या दो साल के एमए की डिग्री के साथ-साथ कोई छात्र पार्ट टाइम के रूप में दो या तीन कोर्स कर सकता है।

एड ऑन कोर्स की तरह- तरह की वेरायटी है जो अलग टेस्ट भी देता है। अगर साइंस का छात्र हों तो वह अपने विषय से हटकर मीडिया स्टडीज या थियेटर का कोर्स कर सकता है। ट्रैवल टूरिज्म का पाठ पढ़ सकता है। इसी तरह आर्ट्स का छात्र भी चाहे तो टैक्स मैनेजमेंट या नैनो टेक्नोलॉजी का कोर्स कर सकता है। हालांकि साइंस ही नहीं, इस तरह के कोर्स में ज्यादातर कोर्सेज में सभी डिसिप्लिन के छात्र शामिल हो सकते हैं। कॉलेजों में आर्ट्स, साइंस व कॉमर्स तीनों से जुड़े एड ऑन कोर्स चल रहे हैं। कहीं कॉलेज खुद चला रहा है तो कहीं निजी संस्थाओं की मदद से यह संचालित हो रहा है। कोर्स की वेरायटी कॉलेजों और शिक्षण संस्थाओं में आमतौर पर इसकी तीन वेरायटी है। पहला सॉफ्ट स्किल का है। इसमें व्यक्तित्व विकास, अंग्रेजी बोलना, थियेटर, प्रभावशाली कम्युनिकेशन, कम्युनिकेशन स्किल, फिल्म एप्रीसिएशन और काउंसलिंग जैसे कोर्स शामिल हैं। दूसरे सीधे-सीधे प्रोफेशनल कोर्स हैं जो किसी छात्र को थियरी के साथ-साथ ऑन हैंड ट्रेनिंग देता है। टाइपिंग, कंप्यूटर, फोटोग्राफी, मीडिया, ट्रैवल एंड टूरिज्म, वेब डिजाइनिंग, एनिमेशन, नैनोटेक्नोलॉजी, एयर एंड फेयर टिकटिंग और ऑफिस मैनेजमेंट का कोर्स इसी श्रेणी का है। तीसरी श्रेणी के तहत लैंग्वेज कोर्स हैं। इनमें विदेशी भाषा के कोर्स कराए जाते हैं। 

यूरोपियन और दक्षिणी एशिया से जुड़े देशों की भाषाएं मसलन फ्रेंच, स्पेनिश, जर्मन, इटैलियन, रशियन, कोरियन, चीनी और जापानी आदि भाषाएं सिखाने के लिए कॉलेजों में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स हैं। गर्मी की छुट्टियों में तोहफा आमतौर पर विश्वविद्यालयों में सत्र के साथ ही पार्टटाइम कोर्स चलते हैं। लेकिन गर्मी की छुट्टियों में बहुत सारे कॉलेज इस तरह के कोर्स जो दो से तीन माह के बीच के है, गर्मी की छुट्टियों में संचालित किये जाते हैं। छात्रों के लिए यह सुविधाजनक भी है। वह चाहे तो दो या तीन माह में अंग्रेजी स्पीकिंग, कंप्यूटर से जुड़े शार्ट टर्म कोर्स, फोटोग्राफी, टूर एंड ट्रैवेल्स, बीमा एजेंट, इंश्योरेंस स्किल या पर्सनालिटी डेवलपमेंट का कोर्स कर सकते हैं। सरकारी संस्थानों में इसकी फीस निजी के मुकाबले काफी कम होती है। कोर्स का महत्व विशेषज्ञों की मानें तो आज के दौर में डिग्री के साथ-साथ एड ऑन कोर्स का महत्व किसी रोजगार के क्षेत्र में जाने के लिए बेसिक जानकारी हासिल करने से है। 

इस तरह के कोर्स छात्रों को अलग राह दिखाते हैं। इसमें दक्षता हासिल करने पर छात्रों को काम मिलता है। कुछ के लिए इसका महत्व अतिरिक्त ज्ञान हासिल करना भी है। खास बात यह है कि कामकाजी या नौकरीपेशा को भी अतिरिक्त स्किल हासिल करने के लिए ऐसे कोर्स में आने का मौका मिलता है। फोरेंसिक साइंस के प्रोफेसर सुरेन्द्र नाथ कहते हैं, इसमें सेवानिवृत्त या कामकाजी लोग भी पार्टटाइम के रूप में ज्वाइन करते हैं। अगर कोई वकील है तो वह पार्टटाइम के रूप में फिंगर प्रिंट्स का कोर्स करता है। इसी तरह मनोविज्ञान के छात्र काउंसलिंग या साइकोलॉजिकल एसेसमेंट से जुड़े कोर्स करते हैं। 

इतिहास के छात्र टूर एंड ट्रेवल का कोर्स करते हैं। फोटोग्राफी का शौक रखने वाले छात्र इससे जुड़ा कोर्स करते हैं। याद रहे कि इन कोर्सेज में रेग्यूलर कोर्सेज की तरह दाखिले के लिए ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ती। विश्वविद्यालयों में 12वीं या स्नातक पास छात्रों को इनमें सीटों के हिसाब से मेरिट को देखते हए दाखिला दिया जाता है।

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