डूबता नहीं सूरज साँझ होने पर
बस लौट जाता है घर अपने
हर यात्रा का आख़िरी पड़ाव
अपना घर ही तो होता है न ?
जो अपने घर की यात्रा पर है
वह चलता है,जलता है,तपता है
और दे जाता है दुनिया को
चलने,जलने और तपने की सीख
सूरज कभी सोता नहीं
सोती हैं रातें
जिन्हें जगाता है सूरज
कि फिर हो नई सुबह
उभरे प्राची पर नव-आभा
और समझ सके सारा संसार
चलकर रुकने और रूककर चलने की भाषा !
Sunday, March 30, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
सूरज कभी सोता नहीं
सोती हैं रातें
जिन्हें जगाता है सूरज
कि फिर हो नई सुबह
उभरे प्राची पर नव-आभा
और समझ सके सारा संसार
चलकर रुकने और रूककर चलने की भाषा !
बहुत उम्दा है भाई.
vaah ...badi khuubsurat baat kahi aapney
डूबता नहीं सूरज साँझ होने पर
बस लौट जाता है घर अपने
बहुत अच्छा लिखा आप ने ,जेसे कह रहे हो सुख जाता नही बस दुख के बाद फ़िर लोट आता हे सुख.बहुत बहुत धन्यवाद
बेहतरीन!! बहुत खूब.
Post a Comment