Monday, March 31, 2008

नभ में उड़ना कैसे होगा ?

कटे हुए जीने से बोलो जग में जुड़ना कैसे होगा ?
कटे हुए हों पंख अगर तो नभ में उड़ना कैसे होगा ?
दूरी से दुनियादारी में डट कर जीना नामुमकिन है,
कटे हुए सबसे मिलने के पथ पर मुड़ना कैसे होगा ?

4 comments:

अजित वडनेरकर said...

न्योतने से काफिले बनते नहीं
गर बन गए तो दूर तक चलते नहीं

सही है डॉक्टर साहेब, अच्छी बात है।

राज भाटिय़ा said...

कटे हुए सबसे मिलने के पथ पर मुड़ना कैसे होगा ?
कया बात हे..

पारुल "पुखराज" said...

वाह!

Satish Saxena said...

ख़त कबूतर किस तरह पहुँचाये वामे यार पर
पर कतरने को लगीं हों कैंचियाँ दीवार पर
ख़त कबूतर इस तरह पहुंचाय वामे यार पर
ख़त का मजमून हो परों पर,पर कटें दीवार पर!

बहुत सुंदर डाक्टर साहेब