बीज से सीखा है मैंने.
सीखा है मैंने
उर्वर-धरती की कोख में
ख़मोशी से
उतर जाना
घुल-मिल जाना
इसकी प्यारी मिट्टी से.
अँखुआना
चुप्पी तोड़ना
और ज़मीं फाड़कर बाहर आना
बीज से ही सीखा है
लहलहाना
कैद परतों से
बाहर आना
धरती की खुली सतह पर
मुस्तैद खड़ी उस फसल के मानिंद
इसलिए -
होना चाहता हूँ मैं बीज...
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श्री रामेश्वर की कविता साभार प्रस्तुत.
सीखा है मैंने
उर्वर-धरती की कोख में
ख़मोशी से
उतर जाना
घुल-मिल जाना
इसकी प्यारी मिट्टी से.
अँखुआना
चुप्पी तोड़ना
और ज़मीं फाड़कर बाहर आना
बीज से ही सीखा है
लहलहाना
कैद परतों से
बाहर आना
धरती की खुली सतह पर
मुस्तैद खड़ी उस फसल के मानिंद
इसलिए -
होना चाहता हूँ मैं बीज...
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श्री रामेश्वर की कविता साभार प्रस्तुत.
3 comments:
आप को परिवार समेत नये वर्ष की शुभकामनाये.
नये साल का उपहार
http://blogparivaar.blogspot.com/
आप को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ..
आपका जीवन ध्येय निरंतर वर्द्धमान होकर उत्कर्ष लक्ष्यों को प्राप्त करे
आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की अनंत मंगलकामनाएं
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