इसी जन्म में,
इस जीवन में,
हमको तुमको मान मिलेगा।
गीतों की खेती करने को,
पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा।
क्लेश जहाँ है,
फूल खिलेगा,
हमको तुमको ज्ञान मिलेगा।
फूलों की खेती करने को,
पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा।
दीप बुझे हैं
जिन आँखों के,
उन आँखों को ज्ञान मिलेगा।
विद्या की खेती करने को,
पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा।
मैं कहता हूँ,
फिर कहता हूँ,
हमको तुमको प्राण मिलेगा।
मोरों-सा नर्तन करने को,
पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा।
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केदारनाथ अग्रवाल जी की कविता साभार प्रस्तुत.
Saturday, August 13, 2011
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3 comments:
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज दिनांक 15-08-2011 को चर्चा मंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर भी होगी। सूचनार्थ
इस रचनात्मक पहल के लिए
आपको धन्यवाद.चर्चा के बाद कुछ
और बता सकें तो स्वागत है.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
बहुत बाव्पूर्ण गीत...
कवी श्री को सादर नमस्कार...
राष्ट्र पर्व की हार्दिक बधाईयाँ...
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