Thursday, August 30, 2012

सुनीता विलियम्स : एक साहसिक सफ़र

सागर की गहराई से अन्तरिक्ष की ऊँचाई तक
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन

राजनांदगांव. मो. 9301054300

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भारतीय मूल की अंतरिक्ष वैज्ञानिक सुनीता विलियम्स का नाम आज कौन नहीं जानता ! अभी-अभी की ही तो बात है उन्होंने अंतरिक्ष में अपनी मौजूदगी का एक नया और जानदार अहसास पूरी दुनिया को कराया और अनगिनत लोग उनके साहस को दाद देते हुए उनकी कामयाबी के लिए दुआएं कर रहे हैं. सुनीता विलियम्स यह नाम है एक ऐसा असाधारण महिला का, जिनके नाम अनेक रिकार्ड दर्ज हो चुके हैं. उन्होंने अंतरिक्ष में 194 दिन, 18 घंटे रहकर विश्वरिकार्ड बनाया. उनकी कहानी असाधारण इच्छाशक्ति, जुनून, तथा आत्मविश्वास की कहानी है. क्या आप जानते हैं उनके इन गुणों ने उन्हें एक पशु चिकित्सक बनने की महत्वाकांक्षा रखने वाली छोटी-सी बालिका के एक अंतरिक्ष-विज्ञानी बना दिया. इससे पहले अंतरिक्ष में अपने छह माह के भ्रमण के दौरान वे दुनियाभर के लाखों लोगों के आकर्षण और कुतूहल का केंद्र बनी रहीं.

सुनीता समुद्रों में तैराकी कर चुकी हैं, महासागरों में गोताखोरी कर चुकी हैं, युद्ध और मानव-कल्याण के कार्य के लिए उड़ानें भर चुकी हैं, अंतरिक्ष तक पहुँच चुकी हैं और अंतरिक्ष से अब वापस धरती पर आ चुकी हैं और एक बार फिर इन दिनों अंतरिक्ष में रहकर सचमुच एक एक जीवन्त किंवदंती बन गई हैं. एक साधारण व्यक्तित्व से ऊपर उठकर सुनीता ने अपनी असाधारण क्षमता को पहचाना और कड़ी मेहनत तथा आत्मविश्वास के बल पर उसका भरपूर उपयोग किया. अपनी असाधारण सफलता से उन्होंने उन लोगों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो आकाशीय नजारों की कठिन राह पर पर चलना चाहते हैं.यह सफलता उन्होंने अपने स्नेही और सहयोगी परिवार व मित्रों के सहयोग से प्राप्त की है.

सुनीता लिन पांड्या विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर, 1965 को अमेरिका के ओहियो प्रांत में स्थित क्लीवलैंड में हुआ था. उनके पिता डॉ. दीपक एन पांड्या (एम.डी) हैं, जो भारत के मंगरौल से हैं। माँ बानी जालोकर पांड्या हैं. सुनी का एक बड़ा भाई जय थॉमस पांड्या और एक बड़ी बहन डायना एन पांड्या है. जब सुनीता एक वर्ष से भी कम की थी तभी परिवार जन बोस्टन आ गए थे. हालाँकि बच्चे अपने दादा-दादी, ढेर सारे चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहनों को छो़ड़ कर ज्यादा खुश नहीं थे, लेकिन हम सभी ने श्री दीपक को उनके चिकित्सा पेशे में प्रोत्साहित किया.

सुनीता की माता ने अपने संस्मरण में कहा है - न्यू इंग्लैंड हमारा घर बन गया था और बोस्टन में रहना सभी को अच्छा लगने लगा था। हम बड़े-बड़े संगीत नाटक, पैट्रिऑट और रेड सॉक्स खेल देखने तथा नदियों, झीलों एवं समुद्र में तैरने के लिए जाया करते थे। पतझड़ के मौसम में हमें न्यू हैंपशायर और माइन के भ्रमण पर जाना अच्छा लगता था, जहाँ हम वृक्षों के हरे-हरे पत्तों को लाल, पीले और नारंगी रंगों में बदलते देखते थे. बच्चों को डंठल और कद्दू तथा हैलोवीन कपड़े बहुत अच्छे लगते थे, जो मैं उनके लिए तैयार किया करती थी. उन्हें क्रिसमस और धन्यवाद-ज्ञापन के साथ-साथ दीवाली व अन्य भारतीय त्योहार अच्छे लगते थे। इन अवसरों पर मैं उनके लिए गुगरा, हलवा, जलेबी और गुलाबजामुन आदि बनाया करती थी। सर्दियों में सुबह उठकर बर्फ की सफेद चादर देखना सभी को अच्छा लगता था. कभी-कभी डायना और जय खिड़की से बाहर झाँकते हुए सोचने लगते—अरे, आज तैराकी नहीं हो पाएगी. लेकिन उधर, सुनी पहले से तैयार होकर तैराकी के लिए जाने के लिए प्रतीक्षा कर रही होती थी.

सुनीता लिन पांड्या विलियम्स एक असाधारण एवं विलक्षण महिला हैं. उन्होंने एक फ्लाइट इंजीनियर के रूप में सेवा की. नासा के चौदहवें अभियान दल की एक सदस्या के रूप में चार बार कुल 29 घंटे 17 मिनट तक अंतरिक्ष में चलकर उन्होंने महिलाओं के लिए एक विश्व-कीर्तिमान स्थापित किया है, जिसे नासा ने ‘असाधारण वाहनीय कार्य’ का नाम दिया है. सुनीता स्वयं में एक प्रतिमान बन गई हैं. आज वह जिस ऊँचाई तक पहुँची हैं, उसमें उनके जीवन से जुड़े अनेक अनुभवों और प्रभावों का योगदान रहा है, जो उन्हें अपने परिवार और पारिवारिक पृष्ठभूमि से मिले हैं.

अपने पिता से उन्होंने सरल जीवन-शैली, आध्यात्मिक संतोष, पारिवारिक संबंधों और प्रकृति के सुखद सौंदर्य के मूल्यों की परख करना सीखा है.

अपनी माँ से उन्होंने शक्ति और सौंदर्य प्राप्त करने के साथ-साथ हमेशा सकारात्मक, रचनात्मक, प्रसन्नचित्त और तरोताजा बने रहना सीखा है. अपने भाई से उन्होंने खेल और अध्ययन में कड़ी मेहनत के महत्त्व को समझा है. उनकी बहन उन्हें जीवन भर की सहेली के रूप में मिलीं तथा उनका अनुकरण करके भी उन्होंने बहुत कुछ सीखा. तैराकी में अपने प्रतियोगियों से उन्होंने निष्ठा, प्रतिबद्धता व समर्पण तथा जीवन भर के महत्त्व को समझा। साथ ही, अपने प्रतिस्पर्धियों से आगे निकलने के लिए अपनी पूरी शारीरिक ऊर्जा का उपयोग करना सीखा।

नौसेना अकादमी से उन्होंने नेतृत्व और उत्तरजीविता के गुर सीखे तथा पुरुष-प्रधान परिस्थितियों में निडर होकर एक टीम सदस्य के रूप में काम करना सीखा.नेवी डाइविंग (नौसेना गोताखोरी) से उन्हें पानी के भीतर रहने और काम करने के व्यवहारिक कौशल मिले, जिसका लाभ उन्हें स्वयं को एक सफल अंतरिक्ष यात्री बनाने में भी मिलेगा.परीक्षण पायलट के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने चुनौतियों को स्वीकार करना सीखा और समस्याओं का हल निकालने के साथ-साथ साहस तथा दृढ़ निश्चय के साथ काम करना सीखा. अपने पति से उन्हें मित्रता, प्रेम, सम्मान और सुरक्षा का मूल्य समझने को मिला. यानी अंतरिक्ष के इतने बड़े स्टार ने धरती के हर शख्स, हर चीज़ से कुछ न कुछ सीखा. और फिर क्या, सीखने की इसी चाहत ने आज उन्हें खुद पूरी दुनिया की खातिर एक बड़ी सीख और प्रेरणा में तब्दील कर दिया है.

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