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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
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"मैं ईमानदारी से कह रहा हूँ मैंने कभी नहीं सोचा था कि उस चाँद जिसे मैं
बचपन में खिलौना समझता था पर सबसे पहले मेरे कदम पड़ेंगे” नील
आर्मस्ट्रांग के लिए चाँद पर उतरना किसी ऐसे सपने की तरह था जिसका खुमार
आज जबकि वो नहीं है तक खत्म नहीं हो पाया है. मीडिया और प्रचार से बेहद
दूर रहने वाले आर्मस्ट्रांग के बारे में ये बात बहुत कम लोगों को पता
होगी कि उन्हें 16 वर्ष की उम्र में जब कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिला
था उस वक्त तक उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं मिला था. उन्होंने कभी
खुद को अंतरिक्ष कार्यक्रमों से जुडी सिलिब्रिटी के तौर पर स्थापित करने
की कोशिश कीवो नेवी के फाइटर पायलट थे और मरते दम तक खुद को फाइटर पायलट
कहा जाना ही ज्यादा पसंद करते थे कैमरे से बेहद शर्माने वाले
आर्मस्ट्रांग 2010 अंतिम बार तब सार्वजनिक तौर पर दिखे जब अमेरिकी
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने देश की अंतरिक्ष नीति में व्यापक फेरबदल की
घोषणा करते हुए निजी कंपनियों को अंतरिक्ष यान बनाने की इजाजत देने से
इनकार कर दिया था.आर्मस्ट्रोंग चाहते थे कि निजी कंपनियों की इसमें
भागीदारी हो और अंततः कांग्रेस को नील की इस जिद को स्वीकार करना पड़ा
आर्मस्ट्रांग के साथी और दुनिया के प्रसिद्ध एस्ट्रोनाट ग्लेन जिन्होंने
कभी आर्मस्ट्रांग के साथ पनामा के जंगलों में अंतरिक्ष यात्रा का
प्रशिक्षण लिया था, हमेशा कहते थे “आर्मस्ट्रांग ही दुनिया का एकमात्र
शख्स है जिसे मैं जितना प्यार करता हूँ उतनी ही ईर्ष्या करता हूँ.
आर्मस्ट्रांग ने चाँद पर भले ही फतह पा ली थी,लेकिन वो उसे हमेशा उस
निगाह से भी देखते रहे, जिस निगाह से कोई कवि चाँद को देखता है.
आर्मस्ट्रांग ने अपने जीवन में एकमात्र साक्षात्कार 2006 में एक टीवी
चैनल को दिया था जिसमे उन्होंने कहा कि चाँद की सतह सूरज की रोशनी में
ज्यादा खूबसूरत लगती है,कई बार ऐसा लगता है जैसे हम जमीन पर हों पर
आस-पास कोई शोर नहीं होता,उसी साल आर्मस्ट्रोंग की जीवनी “फर्स्ट
मैन:लाइफ आफ द नेल ए.आर्मस्ट्रोंग “बाजार में आयी. उनकी जीवनी लिखने वाले
हेनसेन बताते हैं मैंने इतना संवेदनशील इंसान कभी नहीं देखा.
अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों ने अपनी यात्रा की 30 वीं वर्षगांठ पर
आयोजित एक कार्यक्रम में जब नील को बुलाया तो लगभग
30 लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया ,लेकिन शर्मीले आर्मस्ट्रोंग सिर्फ
सकते हैं ,जिन्हें प्राप्त करना अब तक असंभव रहा है“.इस बात में कोई दो
राय नहीं कि अपोलो मिशन शीत युद्ध के कड़वे दिनों की कड़वाहट को कम करने के
काम आया.वो नील थे जिनकी पहल पर दुनिया की दो महाशक्तियां अंतरिक्ष
आर्मस्ट्रांग की मौत के तत्काल बाद जारी किये गए एक प्रेस रिलीज में
उनके परिवार ने कहा कि “जो लोग भी नील को अपनी श्रद्धांजलि देना चाहते
हैं,उनसे एक छोटा सा अनुरोध ये है कि जब कभी वो रात में घर बाहर निकले
और चाँद को मुस्कुराता देखें एक बार जरुर नील को याद करके अपनी आँखें बंद
कर लें“. अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने कहा है कि नील अमेरिका के महान
हीरोज में से एक रहे हैं और हमेशा रहेंगे“.
82 साल की उम्र में चांद पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग दुनिया
को अलविदा कह गए। खराब सेहत से जूझ रहे आर्मस्ट्रॉन्ग की हाल ही में
बाइपास सर्जरी हुई थी. जुलाई 1969 को अपोलो-11 मिशन का नेतृत्व करते हुए
नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर पहला कदम रखा था. इस दौरान उन्होंने कहा था,
‘मनुष्य के लिए यह एक छोटा कदम, पूरी मानव जाति के लिए बड़ी छलांग साबित
होगा’. नेवी में एक ड्राइवर के तौर पर काम करने के बाद नील
आर्मस्ट्रॉंन्ग ने एरोनॉटिकल इंजिनियरिंग की स्टडी की. उन्होंने एक
रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर जो कि बाद में अमरीकी अंतरिक्ष
एजेंसी नासा का अहम हिस्सा बन गया.एक अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुने
जाने के बाद आर्मस्ट्रॉन्ग उस चालक दल का हिस्सा बने जो पहली बार
अंतरिक्ष में दो पहिया वाहन ले जाने में सफल रहा। नील आर्मस्ट्रॉंग के
हृदय की नलियां बाधित होने के चलते पिछले दिनों हॉस्पिटल में भर्ती कराया
गया था। इसके बाद उनका ऑपरेशन किया गया। पिछले रविवार को ही आर्मस्ट्रॉंग
ने 82 वर्ष की उम्र पार की थी।
चांद पर गए इस मिशन के सफल होने के बाद नील आर्मस्ट्रॉंग सुर्खियों से
दूर रहे। सितंबर 2011 में उन्होंने आर्थिक संकट के बीच नासा के भविष्य को
लेकर की जा रही चर्चा में अपना पक्ष रखा था। अपने दल के दूसरे साथियों
सहित नील आर्मस्ट्रॉंग को अमरीका का शिखर नागरिक सम्मान ‘कॉग्रेशनल गोल्ड
मेडल’ से नवाजा गया है.दरअसल, चाँद को छूने वाले आर्मस्ट्रांग अब दुनिया
को अलविदा कहकर खुद एक हमेशा चमकते रहने वाले सितारे बन गए हैं.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
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"मैं ईमानदारी से कह रहा हूँ मैंने कभी नहीं सोचा था कि उस चाँद जिसे मैं
बचपन में खिलौना समझता था पर सबसे पहले मेरे कदम पड़ेंगे” नील
आर्मस्ट्रांग के लिए चाँद पर उतरना किसी ऐसे सपने की तरह था जिसका खुमार
आज जबकि वो नहीं है तक खत्म नहीं हो पाया है. मीडिया और प्रचार से बेहद
दूर रहने वाले आर्मस्ट्रांग के बारे में ये बात बहुत कम लोगों को पता
होगी कि उन्हें 16 वर्ष की उम्र में जब कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिला
था उस वक्त तक उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं मिला था. उन्होंने कभी
खुद को अंतरिक्ष कार्यक्रमों से जुडी सिलिब्रिटी के तौर पर स्थापित करने
की कोशिश कीवो नेवी के फाइटर पायलट थे और मरते दम तक खुद को फाइटर पायलट
कहा जाना ही ज्यादा पसंद करते थे कैमरे से बेहद शर्माने वाले
आर्मस्ट्रांग 2010 अंतिम बार तब सार्वजनिक तौर पर दिखे जब अमेरिकी
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने देश की अंतरिक्ष नीति में व्यापक फेरबदल की
घोषणा करते हुए निजी कंपनियों को अंतरिक्ष यान बनाने की इजाजत देने से
इनकार कर दिया था.आर्मस्ट्रोंग चाहते थे कि निजी कंपनियों की इसमें
भागीदारी हो और अंततः कांग्रेस को नील की इस जिद को स्वीकार करना पड़ा
आर्मस्ट्रांग के साथी और दुनिया के प्रसिद्ध एस्ट्रोनाट ग्लेन जिन्होंने
कभी आर्मस्ट्रांग के साथ पनामा के जंगलों में अंतरिक्ष यात्रा का
प्रशिक्षण लिया था, हमेशा कहते थे “आर्मस्ट्रांग ही दुनिया का एकमात्र
शख्स है जिसे मैं जितना प्यार करता हूँ उतनी ही ईर्ष्या करता हूँ.
आर्मस्ट्रांग ने चाँद पर भले ही फतह पा ली थी,लेकिन वो उसे हमेशा उस
निगाह से भी देखते रहे, जिस निगाह से कोई कवि चाँद को देखता है.
आर्मस्ट्रांग ने अपने जीवन में एकमात्र साक्षात्कार 2006 में एक टीवी
चैनल को दिया था जिसमे उन्होंने कहा कि चाँद की सतह सूरज की रोशनी में
ज्यादा खूबसूरत लगती है,कई बार ऐसा लगता है जैसे हम जमीन पर हों पर
आस-पास कोई शोर नहीं होता,उसी साल आर्मस्ट्रोंग की जीवनी “फर्स्ट
मैन:लाइफ आफ द नेल ए.आर्मस्ट्रोंग “बाजार में आयी. उनकी जीवनी लिखने वाले
हेनसेन बताते हैं मैंने इतना संवेदनशील इंसान कभी नहीं देखा.
अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों ने अपनी यात्रा की 30 वीं वर्षगांठ पर
आयोजित एक कार्यक्रम में जब नील को बुलाया तो लगभग
30 लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया ,लेकिन शर्मीले आर्मस्ट्रोंग सिर्फ
थैंक्स करके मंच से उतर आये,बाद में उन्होंने अपने लिखित सन्देश में कहा कि
“अपोलो मिशन कीसबसे बड़ी उपलब्धता दुनिया को ये बताना था कि सारी संभवनाएं मानवता में निहित हैं अगर सारी दुनिया एक हो जाए तो हम उन लक्ष्यों को भी प्राप्त कर
सकते हैं ,जिन्हें प्राप्त करना अब तक असंभव रहा है“.इस बात में कोई दो
राय नहीं कि अपोलो मिशन शीत युद्ध के कड़वे दिनों की कड़वाहट को कम करने के
काम आया.वो नील थे जिनकी पहल पर दुनिया की दो महाशक्तियां अंतरिक्ष
विज्ञान की उन्नति के लिए एक टेबल पर बैठने को तैयार हो गयी थी.
आर्मस्ट्रांग की मौत के तत्काल बाद जारी किये गए एक प्रेस रिलीज में
उनके परिवार ने कहा कि “जो लोग भी नील को अपनी श्रद्धांजलि देना चाहते
हैं,उनसे एक छोटा सा अनुरोध ये है कि जब कभी वो रात में घर बाहर निकले
और चाँद को मुस्कुराता देखें एक बार जरुर नील को याद करके अपनी आँखें बंद
कर लें“. अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने कहा है कि नील अमेरिका के महान
हीरोज में से एक रहे हैं और हमेशा रहेंगे“.
82 साल की उम्र में चांद पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग दुनिया
को अलविदा कह गए। खराब सेहत से जूझ रहे आर्मस्ट्रॉन्ग की हाल ही में
बाइपास सर्जरी हुई थी. जुलाई 1969 को अपोलो-11 मिशन का नेतृत्व करते हुए
नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर पहला कदम रखा था. इस दौरान उन्होंने कहा था,
‘मनुष्य के लिए यह एक छोटा कदम, पूरी मानव जाति के लिए बड़ी छलांग साबित
होगा’. नेवी में एक ड्राइवर के तौर पर काम करने के बाद नील
आर्मस्ट्रॉंन्ग ने एरोनॉटिकल इंजिनियरिंग की स्टडी की. उन्होंने एक
रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर जो कि बाद में अमरीकी अंतरिक्ष
एजेंसी नासा का अहम हिस्सा बन गया.एक अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुने
जाने के बाद आर्मस्ट्रॉन्ग उस चालक दल का हिस्सा बने जो पहली बार
अंतरिक्ष में दो पहिया वाहन ले जाने में सफल रहा। नील आर्मस्ट्रॉंग के
हृदय की नलियां बाधित होने के चलते पिछले दिनों हॉस्पिटल में भर्ती कराया
गया था। इसके बाद उनका ऑपरेशन किया गया। पिछले रविवार को ही आर्मस्ट्रॉंग
ने 82 वर्ष की उम्र पार की थी।
चांद पर गए इस मिशन के सफल होने के बाद नील आर्मस्ट्रॉंग सुर्खियों से
दूर रहे। सितंबर 2011 में उन्होंने आर्थिक संकट के बीच नासा के भविष्य को
लेकर की जा रही चर्चा में अपना पक्ष रखा था। अपने दल के दूसरे साथियों
सहित नील आर्मस्ट्रॉंग को अमरीका का शिखर नागरिक सम्मान ‘कॉग्रेशनल गोल्ड
मेडल’ से नवाजा गया है.दरअसल, चाँद को छूने वाले आर्मस्ट्रांग अब दुनिया
को अलविदा कहकर खुद एक हमेशा चमकते रहने वाले सितारे बन गए हैं.
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