पहचान के 'आधार' से सरोकार की दरकार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
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राजनांदगांव, छत्तीसगढ़. मो. 093010 54300
भोर हुई आँगन में, शुरू हुई उड़ान,
मिली हमें पहचान,
खुले नए द्वार, हमारा 'आधार'.
हर भारतवासी को पहचान पत्र और विशिष्ट पहचान नंबर देने की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘आधार’ की शुरुआत महाराष्ट्र के नंदूरबार जिले के तेंबली गांव से हुई थी. वहाँ रंजना सोनवाने को 12 अंकों वाला पहला विशिष्ट पहचान नंबर (यूआईडी नंबर) दिया गया। यह नंबर लोगों को सशक्त करने की दिशा में एक अहम कदम है. इसका विकास में सभी लोगों को शामिल करना है. महसूस किया जा रहा है कि पुराने तौर-तरीकों और नीतियों के दम पर ऐसे किसी लक्ष्य तक पहुँचना संभव नहीं है. 'आधार' परियोजना के लिए बाकायदा जीवन ऊर्जा के मूल स्रोत सूरज और अंगूठे के निशान वाला प्रतीक चिन्ह भी जारी किया गया.
गौरतलब है कि सूचना का अधिकार, महात्मा गांधी नरेगा और शिक्षा का अधिकार जैसे कार्यक्रमों की तरहविकास को व्यापक और समुचित बनाने की दिशा में हर भारतवासी को पहचान का नया आधार देने का यह कदम उठाया गया है. समझा जा रहा है कि इससे व्यवस्था पारदर्शी बनाई जा सकेगी ताकि समय पर सहायता सही लोगों तक पहुँच सके.इस महत्वाकांक्षी परियोजना को आधुनिक भारत का प्रतीक और विभिन्न आर्थिक परियोजनाओं के लिए मजबूत आधार की तरह देखा जा रहा है।
दरअसल विशिष्ट पहचान के इस अभियान में देश के समग्र आर्थिक विकास के नव-संकल्प के बीज भी छुपे हैं, क्योंकि लोकतंत्र में 'लोक' की मौजूदगी के बगैर न तो लोक हित संभव है और न ही सुशासन के स्वप्न को साकार करना मुमकिन है. यदि कोई देशवासी अपनी पहचान के लिए ही भटकता रहेगा तो देश को दुनिया में नई पहचान आखिर क्यों कर मिलेगी ? लेकिन, काफी अरसे से यह भी महसूस किया जा रहा है कि जिस गति से जनता को इस पहचान से रूबरू करवाया जाना था, वह गति सतह से ऊपर उठ नहीं पा रही है, लिहाजा आधार पर अमल के सरोकार की दरकार पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है.
बड़ा काम - बड़े लाभ
इस विशाल परियोजना के निर्धारित लक्ष्य पर गौर करें तो वर्ष 2014 तक 60 करोड़ लोगों को इसके दायरे में लाने की योजना है. इस कार्ड का इस्तेमाल बैंक खाता खोलने, टेलीफोन कनेक्शन लेने जैसे कामों में पहचान के रूप में किया जा सकता है. देश के हर नागरिक को यूआईडी नंबर देने का ज़िम्मा इंफ़ोसिस के सह-संस्थापक श्री नंदन नीलेकणी की अध्यक्षता में गठित भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को सौंपा गया है. भारत में आजादी के बाद कई महत्वपूर्ण अभियान शुरू किये गए जिनकी सफलता प्रायः जान जागृति और जन सहभागिता पर निर्भर रही है.लेकिन 'आधार' परियोजना को लेकर लोगों में अब तक वैसी जागरूकता नहीं दिख रही है जैसी किसी एक जिम्मेदार कदम के हमकदम होने के लिए ज़रूरी है. लोगों को समझना चाहिए कि यह योजना किस तरह बहुआयामी सुविधाओं के उपयोग और उपभोग के लिए उनकी राह आसान कर सकती है. लोग जानें कि इस योजना के तहत एक अरब से अधिक भारतीयों को एक विशिष्ट नंबर ( यूनीक आईडेंटिफ़िकेशन नंबर) दिया जाएगा.कार्ड का मक़सद है लोगों को पहचान देना, साथ ही उन लोगों की मदद करना जिन्हें सरकारी योजनाओं का फ़ायदा इस वजह से नहीं मिलता क्योंकि उनके पास अपनी पहचान साबित करने का कोई आधार नहीं होता है. 'आधार' कार्ड विभिन्न रजिस्ट्रार एजेंसियों के माध्यम से दिए जाएंगे. इसके लिए भविष्य में व्यापक प्रचार अभियान चलाये जाने की तैयारी की भी खबर है।
पहचान की चलित गवाही
आधार में रजिस्टर होने के बाद लोगों की बायोमेट्रिक पहचान यानी उंगलियों के निशान, आँखों की पुतली की छाप के साथ ही उनकी तस्वीर ली जा रही है. पूरी प्रक्रिया ख़त्म होने के बाद उन्हें एक एनरोलमेंट नंबर और इसके 20 से 30 दिनों के भीतर 'आधार' नंबर दिया जा रहा है. प्रक्रिया से जुड़ी शिकायतों के लिए भी एक केंद्र बनाये जाने की पहल की गयी है. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के अध्यक्ष के मुताबिक वे बंजारों और यायावर आदिवासी जैसे भारतीयों को भी विशिष्ट पहचान पत्र दिलाना चाहते हैं, जिनके पास अपनी पहचान बताने के लिए कोई सरकारी दस्तावेज़ नहीं है. इसके लिए जानकारी हासिल करने के पहले तरीके में राशन कार्ड और रोज़गार कार्ड की तरह के सरकारी कागज़ात काम आएंगे.सत्यापन के लिए जानकारी हासिल करने में किसी ऐसे आदमी की गवाही भी उपयोगी है जो कहे कि वो उन्हें अच्छे से जानता है. इस पहचान पत्र के बाद भारत के एक हिस्से के आदमी की पहचान का सत्यापन भारत के दूसरे हिस्से में भी आसानी से हो जाएगा. ये 'मोबाइल पहचान पत्र' होगा. भारत के किसी भी कोने से किसी भी आदमी की पहचान तय करने के लिए महज़ फ़ोन कर के उसके कार्ड का क्रमांक बताना होगा और कम्पूटर के 'एस' या 'नो' ज़वाब मात्र से उसका सत्यापन हो जाएगा
इलेक्शन आईडी से अलग वजूद
समझा जा रहा है कि आधार पहचान पत्र शायद मतदाता परिचय पत्र की तरह ही होगा किन्तु जानकारी के अभाव में लोगों को ये तथ्य अभी स्पष्ट नहीं है कि चुनाव आयोग के मतदाता पहचान पत्र से अलग इस पहचान पत्र के लिए एक ही सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए एक ही प्रक्रिया इस्तेमाल होगी और हर चीज़ की दो बार जाँच होगी. पहला कार्ड जो जारी हुआ है उसमें इस तकनीक का सफल प्रयोग जाहिर हो गया है. परन्तु, कोई संदेह नहीं कि अगले चार सालों में साठ करोड़ लोगों को पहचान नंबर मुहैया करना बेहद चुनौती पूर्ण कार्य होगा क्योंकि जैसे-जैसे दूर दराज़ के हिस्सों में पहचान कार्यकर्ता जाएँगे, उन्हें नई कठिनाइयों का सामना करना होगा।
हर भारतीय का अधिकार
यहाँ 'आधार' के विषय में कुछ जरूरी बातें जान लेने की ज़रुरत है। मसलन आधार के उपयोग की कोई कानूनी बाध्यता नहीं होगी.यह सिर्फ भारतीय नागरिकों तक सीमित नहीं है. यह हर उस व्यक्ति का अधिकार है जो भारत में रहता हो.आधार, भारत की नागरिकता का सबूत नहीं बल्कि केवल एक पहचान होगा। कोई भी व्यक्ति आधार की मांग कर सकता है. आधार किसी दीगर दस्तावेज़ जैसे राशन कार्ड, पासपोर्ट का स्थानापन्न नहीं है. यह सिर्फ बायोमेट्रिक और डेमोग्राफिक सूचना एकत्र करेगा. इसका सम्बन्ध जाति, धर्म या भाषा से नहीं है.इसके लिए जन्म तिथि भी एच्छिक है. न मालूम हो तो अनुमानित तिथि निकालने का प्रावधान किया गया है. .भारत के निवासियों के लिए इसके अपने बैंक खाते में भी उपयोग का विकल्प खुला होगा. पैन कार्ड में भी इसे मुद्रित करने की सहमति प्रदान कर दी गयी है।
तो लीजिए, अपनी पहचान के नए आधार के स्वागत के लिए जागरूक रहकर पहल से शुमार हो जाइए. 12 अंकों में साल के बारह महीने, कभी भी, कहीं भी बगैर किसी मशक्कत के खुद को 'प्रूव'करने की सहूलियत आपके साथ चलेगी.
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2 comments:
Starting next year, every Indian resident will be given a multi-purpose identity card, with the Expenditure Finance Committee (EFC) giving its clearance to the home ministry’s ambitious scheme against the objections of the Unique Identification Authority of India (UIDAI) and department of electronics and information technology (DeitY) over verification and other issues.
The home ministry-backed Resident Identity Card (RIC), which will bear the UIDAI’s 12-digit Aadhaar (or unique identification) number, can be used for verifying identity as well as the delivery of various government programmes including the Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme (MGNREGS), the Rashtriya Swasthya Bima Yojna (RSBY), the public distribution system, and electoral and other financial services.
Aadhar Card
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जैन जी नमस्कार...
आपके ब्लॉग 'डॉ.चंद्रकुमार जैन' से लेख भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 10 अगस्त को 'अपना देश अपनी बात' शीर्षक के लेख को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
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