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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
छत्तीसगढ़ राज्य के सन्दर्भ में जब भी चिंतन के क्षण आते हैं,
कतिपय चुनौतियों को छोड़कर एक ही तस्वीर उभर कर
सामने आती है कि हम गर्व से कह सकते हैं कि
हमने विगत कुछ वर्षों में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं.
प्रदेश की उपलब्धि का कोई निश्चित मानक तय करना फिलहाल
संभव भले ही न हो किन्तु तय है कि एक छोटे और नए राज्य के
मद्देनजर यहाँ की जो पहचान बनी है उसका कोई सानी नहीं है.
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छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा जन-जीवन और जन-भावनाओं का प्रतिबिम्ब बन गयी है. कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसे बेहतर बनाने के उपाय न किये गए हों. इनमें खेल एवं युवा कल्याण का क्षेत्र भी शामिल है, जहां प्रेरणा, प्रोत्साहन और नित नए क़दमों की हलचल साफ़ तौर पर देखी जा सकती है.
अब हम विश्वास पूर्वक कह सकते हैं कि हम उस प्रदेश के निवासी हैं जो क्रीड़ा और युवा कल्याण के प्रति न सिर्फ जागरूक है बल्कि उसमें सफलता के नए कीर्तिमान भी रच रहा है.
चौतरफा विकास के माहौल में तब जबकि छत्तीसगढ़ की अनेक योजनाओं और लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों को पूरे देश में माडल की तरह स्वीकार कर लिया गया है, बेशक इससे खेल युवा कल्याण का क्षेत्र भी अछूता नहीं हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री बार-बार विश्वास दिलाते रहे हैं कि प्रदेश सरकार खिलाड़ियों के साथ है. राज सत्ता का यह आश्वासन मात्र नहीं बल्कि पवित्र कर्तव्य भी होता है कि वह जन-मन को समझे, उसके साथ रहे. यही बात अन्य क्षेत्रों के समान खेल युवा कल्याण के क्षेत्र में भी लागू होती है.इसके पीछे उन अहम क़दमों और ज़मीनी कोशिशों का हाथ है जिन्हें नकारा नहीं जा सकता.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में खेल और युवा प्रतिभाओं की कमी नहीं है. यहाँ के खिलाड़ियों और प्रतिभाओं ने कामयाबी का परचम लहराने का जैसे सिलसिला ही कायम कर दिया है.छत्तीसगढ़ में उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए बड़ी राशि से मुख्यमंत्री खेल कोष की स्थापना की गयी है. प्रदेश में गांवों से लेकर राजधानी तक खेल सुविधाओं के विस्तार और देशी खेलों को भी बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया गया है, जिसके सार्थक और सकारात्मक परिणाम स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं.
खेल और युवा कल्याण विभाग हर वर्ष अलंकरण समारोह आयोजित कर प्रदेश की प्रतिभाओं को पुरस्कृत कर रहा है. इसके साथ-साथ उनकी योग्यता और क्षमता के विकास के कार्य भी निरंतर किये जा रहे हैं.हाल ही में राजधानी संपन्न एक गरिमामय समारोह में प्रदेश के खेल
सितारों को राज्य अलंकरण सहित विभिन्न पुरस्कार प्रदान किये गए.पुरस्कार स्वरूप उन्हें नगद सम्मान राशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए. यह गौरतलब है कि अनेक पुरस्कारों का नामकरण प्रदेश के अमर शहीदों के नाम पर किया गया है, जैसे शहीद हनुमान सिंह, शहीद राजीव पांडे, शहीद पंकज विक्रम, शहीद कौशल यादव आदि.
हाकी के जादूगर मेज़र ध्यानचंद की जयन्ती छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाई जाती है. यह इस बात का प्रमाण है कि खेल और खेल प्रतिभाओं के प्रति हमारा प्रदेश कितना सजग है. निश्चय ही हमारा प्रदेश जानता है कि युवाओं में अपार संभावनाएं हैं. साथ ही किसी बड़े रचनात्मक कदम या परिवर्तन की उम्मीद भी उन्हीं पर टिकी होती है. यहीं कारण है कि यहाँ राज्य के युवाओं की प्रतिभा को रेखांकित करने का उपक्रम सतत चल रहा है.हमारे प्रदेश में खेल और युवा कल्याण पर्याय अथवा एक सिक्के के दो पहलू की तरह हैं.
आगामी सन 2013 -14 में छत्तीसगढ़ को 37 वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी का गौरवशाली अवसर मिल रहा है. ऐसे माहौल में हमारे खिलाड़ियों, खेल प्रशिक्षकों तथा खेल से जुड़े संगठनों को भी चाहिए कि वे अपने प्रदर्शन, मार्गदर्शन और सहयोग से ऐसे अवसरों को यादगार बनाएं. प्रदेश का नाम अधिक रौशन करें.प्रदेश में राज्य ओलंपिक संघ की भूमिका भी महत्वपूर्ण है जिसकी गतिविधियों के केंद्र में प्रदेश के मुखिया स्वयं हैं. उनके अलावा मूलतः राजनांदगांव के निवासी श्री बलदेव सिंह भाटिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण है. श्री भाटिया अब राजधानी रायपुर में रहकर ओलंपिक संघ को निरंतर नई ऊंचाई देने और क्रीडा गतिविधियों के माध्यम से प्रदेश का नाम रौशन करने के लिए कटिबद्ध दिखते हैं.
मुख्यमंत्री खेल निधि के अतिरिक्त यह संघ भी खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने की दिशा में प्रशंसनीय कार्य कर रहा है. दरअसल ये सही है कि खेल के मामले में हमारे प्रदेश में कई गुदड़ी के लाल हैं जिन्हें पहचाना जाना अभी शेष है. इसी तरह पढाई-लिखाई और कला-कौशल में भी प्रदेश की प्रतिभाएं लोहा मनवा रहीं हैं. प्रदेश से हर साल भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय इंजीनियरिंग सेवा, भारतीय राजस्व सेवा सहित राज्य सेवा में अनेक प्रतिभाएं सफलता का परचम लहरा रही हैं.
धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ रही है. किन्तु प्रतिभा प्रदर्शन के लिए दिए जा रहे मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की अलग भूमिका है. इसे पूरी दृढ़ता से आगे बढाने की जरूरत है. क्रीडा का क्षेत्र देश की एकता और समरसता का सेतु भी रहा है. हमें इसका सम्मान करना चाहिए.
धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ रही है. किन्तु प्रतिभा प्रदर्शन के लिए दिए जा रहे मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की अलग भूमिका है. इसे पूरी दृढ़ता से आगे बढाने की जरूरत है. क्रीडा का क्षेत्र देश की एकता और समरसता का सेतु भी रहा है. हमें इसका सम्मान करना चाहिए.
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