चाहता हूँ लिखूँ एक गीत
छोटी सी बात पर !
सुना है बड़ी -बड़ी बातों पर
रचे गए हैं बड़े-बड़े गीत
पर सोचता हूँ
छोटी बात
क्या वास्तव में
छोटी होती है ?
सिर्फ़ खान-पान
और मद्यपान पर
क्यों लिखूं मैं गीत ?
क्या यही है
कलम के संसार की रीत ?
जब बिक रही हो ज़िंदगी
रोटी के दो टुकड़ों की खातिर
तब शाही व्यंजनों की व्यंजना
कलमकार का धर्म नहीं है
सिर्फ़ अभिधा से इन पर
किया जा सकता है वार
इसलिए छोटी-छोटी बातों पर
गीत लिखूँगा मैं हर बार !
छोटी सी बात पर !
सुना है बड़ी -बड़ी बातों पर
रचे गए हैं बड़े-बड़े गीत
पर सोचता हूँ
छोटी बात
क्या वास्तव में
छोटी होती है ?
सिर्फ़ खान-पान
और मद्यपान पर
क्यों लिखूं मैं गीत ?
क्या यही है
कलम के संसार की रीत ?
जब बिक रही हो ज़िंदगी
रोटी के दो टुकड़ों की खातिर
तब शाही व्यंजनों की व्यंजना
कलमकार का धर्म नहीं है
सिर्फ़ अभिधा से इन पर
किया जा सकता है वार
इसलिए छोटी-छोटी बातों पर
गीत लिखूँगा मैं हर बार !
5 comments:
सही, मुद्दे की बात.
आपकी आवाज भी तो खनकदार है. कुछ पॉडकास्ट भी कीजिए. यानी अपनी आवाज में कवितापाठ कर रेकॉर्डिंग यहाँ चढ़ाइए.
is kalam ka kam hi haiman ki bat likhna saheb......
लिखिये जनाब छोटी छोटी बातों पर ही लिखिये-इन्तजार रहेगा. शुभकामनायें.
जब बिक रही हो ज़िंदगी
रोटी के दो टुकड़ों की खातिर
तब शाही व्यंजनों की व्यंजना
कलमकार का धर्म नहीं है
सुंदर !
यह छोटी छोटी बाते ही असल जिंदगी की खुशिया होति हे.बहुत बहुत धन्यवाद
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