Saturday, June 7, 2008
सीप के मोती...!
तल्ख़ बातें हमें पसंद नहीं
जो भी पूछो वो प्यार से पूछो
- नामालूम
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ये बरगद आड़ में साए की छल करते हैं दूबों से
पता है धूप का इन पर करम होना ज़रूरी है
- जिगर श्योपुरी
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मैं देर तक तुझे ख़ुद न रोकता लेकिन
तू जिस अदा से उठा है उसी का रोना है
- फ़िराक गोरखपुरी
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चमकते लफ्ज़ सितारों से छीन लाये हैं
हम आसमां से ग़ज़ल की ज़मीन लाये हैं
- डा.राहत इन्दौरी
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सच है मेरी बात का क्या ऐतबार
सच कहूँगा झूठ मानी जायेगी
- दिल शाह्ज़हांपुरी
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लेने वाले तेरा करम होगा
मौत के बदले ज़िंदगी ले ले
- कमेश्वरदयाल 'हज़ीं'
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6 comments:
तल्ख़ बातें हमें पसंद नहीं
जो भी पूछो वो प्यार से पूछो
--वाह वाह!! हमने आपके ब्लॉग को फेवराईट में डाल दिया है. क्या उम्दा रचते हैं और क्या उम्दा चुन कर लाते हैं, बहुत खूब.
सभी चुने हुये शेर फूल हैं.
तल्ख़ बातें हमें पसंद नहीं
जो भी पूछो वो प्यार से पूछो
बहुत ही सुंदर है हर शेर ..शुक्रिया इसको यहाँ शेयर करने के लिए
मैं देर तक तुझे ख़ुद न रोकता लेकिन
तू जिस अदा से उठा है उसी का रोना है
bahut badhiya...
"लेने वाले तेरा करम होगा
मौत के बदले ज़िंदगी ले ले"
"ये बरगद आड़ में साए की छल करते हैं दूबों से
पता है धूप का इन पर करम होना ज़रूरी है"
वाह! वाह!
बहुत खूब!
वाह!! सारे चुनिन्दा मोती हैं..
***राजीव रंजन प्रसाद
आप सब की शुभकामनाएँ
अच्छा सोचने,लिखने,कहने
और बेहतर चयन का पथ प्रशस्त करती हैं.
आभार...और समीर साहब आपने तो दिल से
दिल तक असर करने वाली बात कह दी है.
इसे मैं आपका बड़प्पन और दुआ मानकर
क़ुबूल करता हूँ.....शुक्रिया.
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आप सब का अपना
चंद्रकुमार
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