Thursday, June 12, 2008

कलम की धार से जीतो....!


कली को जीतना है तो मधुर मुस्कान से जीतो

हिरण-मन जीतना है तो सरस-झंकार से जीतो

किसी को जीतना क्या है अरे तलवार से,बम से

किसी को जीतना है तो कलम की धार से जीतो

9 comments:

डॉ .अनुराग said...

bahut badhiya saheb.....sacchi baat.

नीरज गोस्वामी said...

बेहतरीन रचना..प्रेरक और अनुकरणीय....हमेशा की तरह.
नीरज

Udan Tashtari said...

दोनों बहुत उम्दा एवं प्रेरक. वाह!

मीनाक्षी said...

bahut prabhavshali...aapki lekhni har bar ek naya sandesh deti hai..

Dr. Chandra Kumar Jain said...

शुक्रिया आप सब का.
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डा.चंद्रकुमार जैन

बालकिशन said...

बहुत ही खूबसूरत और प्रेरणा दायक रचना हैं दोनों.
आपको इसे पेश करने के लिए बधाई.

Dr. Chandra Kumar Jain said...

आपका भी आभार
बालकिशन जी.
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चंद्रकुमार

अजित वडनेरकर said...

बहुत बढ़िय पंक्तियां है डॉक्टर साहेब...
हमेशा की तरह प्रेरणा और पॉजिटिविटी की स्रोत...

Dr. Chandra Kumar Jain said...

आपका शुक्रिया कैसे अदा करूँ ?
अजित जी, इसके
सच्चे स्रोत तो आप हैं.
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डा.चंद्रकुमार जैन