Tuesday, July 8, 2008

माटी वंदना....

पाँवों से रौंदो पर
हाथों में आती है
जीवन का जीवन है
जीवन की थाती है
धरती को धानी-सी
चूनर दे जाती है
युग-युग से पूजित वह
माटी है ..... माटी है.
================

4 comments:

नीरज गोस्वामी said...

पूज्य है माटी और धन्य हैं उसके गुणगान करने वाले...वरना आज के परिवेश में कौन माटी के गीत गाता है?
नीरज

36solutions said...

मोर धरती मईया जय होवय तोर .....

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर ! छोटी सी कविता में बहुत कुछ है।
घुघूती बासूती

Dr. Chandra Kumar Jain said...

हार्दिक आभार आप सब का
=====================
चन्द्रकुमार