चीर हरण सत्ता का
साठ सालों से होता रहा है
और मेरे देश का कृष्ण
कुंभकरण की तरह सोता रहा है
उच्च आसन पर बैठकर इन्द्र
हर दधीचि की अस्थियाँ माँगकर
वज्र बनाते हैं
और दधीचि लोक हित के नाम पर
बार-बार मर जाते हैं
सुना है कि असुर संहारक वज्र धारक ने
असुरों से समझौता कर लिया है
देवता अदालत में मुज़रिम हैं
और उसने चुपचाप
अपना घर भर लिया है।
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4 comments:
behatarin likha hai sir,
aap kafi dino se mere blog par nahi aayen,
bahut sahi likha hai aapne
बहुत अच्छा लिखा है।
मुझे नई थीम मिल गई।
धन्यवाद ।
धन्यवाद आप सब को.
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डा.चन्द्रकुमार जैन
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