भिक्षु बनकर भी कभी भगवान आ जाते हैं घर बहुत दिनों बाद नज़र आए आप जैन साहेब....मैं तो आप की राह तक रहा हूँ खोपोली में क्यूँ की भगवन कभी कभी कवि के रूप में भी तो आ जाते हैं. मेरे बारे में हलकी फुलकी जानकारी के लिए मैंने आप को http://coffeewithkush.blogspot.com/2008/07/blog-post_26.html पर आने का निमंत्रण दिया था लगता है समयाभाव के कारन आप आ नहीं पाए..थोड़ा वक्त निकलकर जरूर आयीये.
12 comments:
भिक्षु बनकर भी कभी
भगवान आ जाते हैं घर
बहुत दिनों बाद नज़र आए आप जैन साहेब....मैं तो आप की राह तक रहा हूँ खोपोली में क्यूँ की भगवन कभी कभी कवि के रूप में भी तो आ जाते हैं.
मेरे बारे में हलकी फुलकी जानकारी के लिए मैंने आप को http://coffeewithkush.blogspot.com/2008/07/blog-post_26.html
पर आने का निमंत्रण दिया था लगता है समयाभाव के कारन आप आ नहीं पाए..थोड़ा वक्त निकलकर जरूर आयीये.
नीरज
बहुत बढिया!
दिशाएं ।
अच्छी सीख.
बहुत ही उम्दा.
आपका जवाब नहीं.
बहुत बढ़िया..भगवान के भिक्षु बनकर घर आने का प्रसंग सचमुच बहुत अच्छा है.
सुंदर बात कही ..क्या पता किस रूप में मिल जाए भगवान
यही तो खासियत है अपनी संस्कृति की... सच कहा आपने किसी भी रूप में ईश मिल जाते हैं.
भिक्षु बनकर भी कभी
भगवान आ जाते हैं घर
बहुत अच्छा लिखा है...
'भिक्षु बनकर भी कभी
भगवान आ जाते हैं घर'
बहुत अच्छी सीख !
बहुत अच्छा ।
सटीक..बहुत उम्दा...वाह!
भिक्षु बनकर भी कभी
भगवान आ जाते हैं घर
सही है !!
शब्द नहीं सूझ रहे...
कैसे अदा करुँ शुक्रिया ?
आप सब का स्नेह मेरी
सृजन-संपदा ही है.
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डा.चन्द्रकुमार जैन
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