अपनी हस्ती जीने वाले
तन्हाई से नहीं डरेंगे
शब्द-शिल्प-संगीत रचेंगे
रुसवाई से नहीं डरेंगे
बच जाए जो सब कुछ खोकर
मोल न उसका जाने दुनिया
हक रचने का अदा करेंगे
भरपाई से नहीं डरेंगे
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Monday, August 11, 2008
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10 comments:
badhiya Do.saab
mat dariye hazoor......tanhayi ko dariyiye....
धन्यवाद
अनिल भाई
डॉ.अनुराग साहब
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
बच जाए जो सब कुछ खोकर
मोल न उसका जाने दुनिया
सच कहा जैन साहेब....हमेशा की तरह...खूबसूरत रचना.
नीरज
बहुत प्यारी रचना है। सच बात कहना और इतनी सादगी से, मजा ही आ गया।
और हाँ, आपके चित्र भी लाजवाब होते हैं।
भरपाई से नहीं डरेंगे... बढि़या। हौसला दे रहे हैं आप कइयों को।
नीरज जी
महामंत्री जी
शायदा जी
आपका यहाँ आना
बहुत मायने रखता है.
चंद पंक्तियों में कोई मर्म
ढूंढ निकलना पारखी के लिए ही
सम्भव है.....
आभार आप सब का.
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डा.चन्द्रकुमार जैन
बहुत उम्दा, क्या बात है!
वाह, मज़ा आ गया !
मन भर आभार आप सब का.
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डा.चन्द्रकुमार जैन
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