Monday, August 11, 2008

तन्हाई से नहीं डरेंगे...!

अपनी हस्ती जीने वाले

तन्हाई से नहीं डरेंगे

शब्द-शिल्प-संगीत रचेंगे

रुसवाई से नहीं डरेंगे

बच जाए जो सब कुछ खोकर

मोल न उसका जाने दुनिया

हक रचने का अदा करेंगे

भरपाई से नहीं डरेंगे
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10 comments:

Anil Pusadkar said...

badhiya Do.saab

डॉ .अनुराग said...

mat dariye hazoor......tanhayi ko dariyiye....

Dr. Chandra Kumar Jain said...

धन्यवाद
अनिल भाई
डॉ.अनुराग साहब
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन

नीरज गोस्वामी said...

बच जाए जो सब कुछ खोकर
मोल न उसका जाने दुनिया
सच कहा जैन साहेब....हमेशा की तरह...खूबसूरत रचना.
नीरज

admin said...

बहुत प्यारी रचना है। सच बात कहना और इतनी सादगी से, मजा ही आ गया।
और हाँ, आपके चित्र भी लाजवाब होते हैं।

शायदा said...

भरपाई से नहीं डरेंगे... बढि़या। हौसला दे रहे हैं आप कइयों को।

Dr. Chandra Kumar Jain said...

नीरज जी
महामंत्री जी
शायदा जी
आपका यहाँ आना
बहुत मायने रखता है.
चंद पंक्तियों में कोई मर्म
ढूंढ निकलना पारखी के लिए ही
सम्भव है.....
आभार आप सब का.
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डा.चन्द्रकुमार जैन

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा, क्या बात है!

Satish Saxena said...

वाह, मज़ा आ गया !

Dr. Chandra Kumar Jain said...

मन भर आभार आप सब का.
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डा.चन्द्रकुमार जैन