आलोक करना है
तड़पती हर ज़िंदगी का
शोक हरना है
व्यक्तिगत सुख का हमें
बलिदान करके भी
शांति से हर एक घर का
चौक भरना है
उठो साथी......!
==================
जैन साहेब...हमेशा की तरह...एक प्रेरक रचना...आप को नमन.नीरज
बहुत सुंदर! प्रेरणादायक कविता..
नीरज जीऔर मिश्र जीआभार आपका.=============चन्द्रकुमार
एक ओजमयी रचना के लिये बधाई,
चन्द्र कुमार जी,पुराने संस्कारों को पुनः जीवित करने हेतु एक ओजमयी आह्वाहन के लिए आप बधाई के पात्र हैं.आपकी रचना की निम्न पंक्तियाँ दिल को छो गई............ तड़पती हर ज़िंदगी का शोक हरना है चन्द्र मोहन गुप्त
bahut khoob.....lage rahiye.....
सुनीता जीचंद्र मोहन जीडॉ.अनुराग साहबशुक्रिया आप सब का.================डा.चन्द्रकुमार जैन
बहुत बेहतरीन, मित्र. बधाई.
धन्यवाद समीर साहब.==================चन्द्रकुमार
प्रेरक..
शुक्रिया राजीव ==============डा.चन्द्रकुमार जैन
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11 comments:
जैन साहेब...हमेशा की तरह...एक प्रेरक रचना...आप को नमन.
नीरज
बहुत सुंदर! प्रेरणादायक कविता..
नीरज जी
और मिश्र जी
आभार आपका.
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चन्द्रकुमार
एक ओजमयी रचना के लिये बधाई,
चन्द्र कुमार जी,
पुराने संस्कारों को पुनः जीवित करने हेतु एक ओजमयी आह्वाहन के लिए आप बधाई के पात्र हैं.
आपकी रचना की निम्न पंक्तियाँ दिल को छो गई............
तड़पती हर ज़िंदगी का
शोक हरना है
चन्द्र मोहन गुप्त
bahut khoob.....lage rahiye.....
सुनीता जी
चंद्र मोहन जी
डॉ.अनुराग साहब
शुक्रिया आप सब का.
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डा.चन्द्रकुमार जैन
बहुत बेहतरीन, मित्र. बधाई.
धन्यवाद समीर साहब.
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चन्द्रकुमार
प्रेरक..
शुक्रिया राजीव
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डा.चन्द्रकुमार जैन
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