कौन सी हरकत अनजानी है
सागर से क्या छुपा है
कि बूँद में कितना पानी है ?
ज़मीन भूलकर तू आसमां में
उड़ न भोले मन
पंछी की तरह ये तेरी
एक नाज़ुक-सी नादानी है
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सही कहते है सर आप. ज़मीन भूलकर तू आसमां में उड़ न भोले मनपंछी की तरह ये तेरीएक नाज़ुक-सी नादानी है शुक्रिया.
ज़मीन भूलकर तू आसमां में उड़ न भोले मन पंछी की तरह ये तेरीएक नाज़ुक-सी नादानी है बहुत सुन्दर और सशक्त बात कही है। बधाई।
बहुत सुन्दर!!!बधाई!
जैन साहेब...जय हो...साहित्य की जो अविरल रस धार आप के यहाँ बहती हैं उसका जितना भी पान करें मन नहीं भरता...सादे शब्दों से कितनी विलक्षण बात आप आसानी से कह जाते हैं..वाह.नीरज
dikkat yahi hai ki man sab jaante boojhte bhi yahi nadani karne ko udyat rahta hai.
कमाल का लिखते हैं सर आप !
बहुत खूब डॉक्टसा...
शब्द कम पड़ रहे हैं आप सबके स्नेह का आभार कैसे व्यक्त करुँ ?.....बस यही किइस जुड़ाव का मुरीद हूँ मैं.......=========================चन्द्रकुमार
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9 comments:
सही कहते है सर आप.
ज़मीन भूलकर तू आसमां में उड़ न भोले मन
पंछी की तरह ये तेरीएक नाज़ुक-सी नादानी है
शुक्रिया.
ज़मीन भूलकर तू आसमां में
उड़ न भोले मन
पंछी की तरह ये तेरी
एक नाज़ुक-सी नादानी है
बहुत सुन्दर और सशक्त बात कही है। बधाई।
बहुत सुन्दर!!!बधाई!
जैन साहेब...जय हो...साहित्य की जो अविरल रस धार आप के यहाँ बहती हैं उसका जितना भी पान करें मन नहीं भरता...सादे शब्दों से कितनी विलक्षण बात आप आसानी से कह जाते हैं..वाह.
नीरज
बहुत सुन्दर!!!बधाई!
dikkat yahi hai ki man sab jaante boojhte bhi yahi nadani karne ko udyat rahta hai.
कमाल का लिखते हैं सर आप !
बहुत खूब डॉक्टसा...
शब्द कम पड़ रहे हैं
आप सबके स्नेह का आभार
कैसे व्यक्त करुँ ?.....बस यही कि
इस जुड़ाव का मुरीद हूँ मैं.......
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चन्द्रकुमार
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